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हेल्थ

मधुमेह हड्डियों का सबसे बड़ा शत्रु

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 हड्डियों का सबसे बड़ा शत्रु

नई दिल्ली । मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कई बीमारियों की संभावना बन जाती है। मधुमेह के रोगियों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि सावधानी हटते ही दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।

वैसे तो मधुमेह पैरों की अंगुलियों से लेकर आंखों तक को प्रभावित करता है, लेकिन इससे हड्डियां सर्वाधिक और शीघ्र प्रभावित होती हैं। ऐसे में मधुमेह के रोगियों को कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर भोजन की जरूरत होती है। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, हरी-पत्तेदार सब्जियां और कैल्सियम की प्रचुरता वाले पेय पदार्थ लेने चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। अनियमित खानपान, व्ययाम की कमी और अनुवांशिक कारणों से यह रोग लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों में हड्डियों और जोड़ों की तकलीफ ज्यादा होती है।

दिल्ली के ऑर्थोपेडिक रिहैबिटिलाइजेशन सेंटर एक्टिवऑर्थो की न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. पूजा बजाज कहती हैं, “हड्डियों में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं। एक ऑस्टियोक्लास्ट्स (वे कोशिकाएं जो बोन टिश्यू को तोड़ती हैं) और दूसरी ऑस्टियोब्लास्ट्स (वे कोशिकाएं जो हड्डियों के निर्माण में सहायक होती हैं)। शर्करा का स्तर बढ़ने से दोनों तरह की कोशिकाओं पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसकी वजह से जहां बोन टिश्यू (हड्डियों के ऊतक) ज्यादा टूटते हैं, वहीं हड्डियों के निर्माण की प्रक्रिया सुस्त हो जाती है।”

उन्होंने कहा, “वास्तव में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने वाली दवाओं से भी हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। दवाएं हड्डियों को कमजोर करती हैं और उनके टूटने का खतरा बढ़ा जाता है। उम्रदराज महिलाओं में यह खतरा ज्यादा होता है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या पिछले 13 सालों में दोगुनी हो गई है। डब्ल्यूएचओ की 2016 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2000 में मधुमेह रोगियों का आंकड़ा 3.2 करोड़ था, जो 2013 तक बढ़कर 6.3 करोड़ हो चुकी है।

ब्रिटिश पत्रिका ‘द लैंसेट’ द्वारा 9 अप्रैल, 2016 को जारी किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मधुमेह ग्रस्त आबादी के मामले में चीन, भारत और अमेरिका दुनिया में शीर्ष स्थान पर हैं।

पत्रिका में कहा गया है कि दुनिया भर में मधुमेह पीड़ितों की संख्या 1980 से 2014 तक 10.8 करोड़ से बढ़कर 42.2 करोड़ हो गई। यह चार गुना वृद्धि है। इनमें से आधे रोगी भारत, चीन और अमेरिका, ब्राजील व इंडोनेशिया में हैं।

दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में एंडोक्राइनोलॉजी व डाइबेटोलॉजी की विशेषज्ञ, अलका झा के अनुसार, “टाइप 1 मधुमेह पीड़ितों की हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, जो ऑस्टियोपोरेसिस रोग का सबसे बड़ा कारक है। टाइप 2 मधुमेह रोगियों को फ्रैक्चर का जोखिम रहता है, जो मधुमेह पीड़ित उम्रदराज लोगों में सामान्य बात होती है। टाइप 1 और टाइप 2 वाले रोगियों को उपचार के साथ ही स्वस्थ्य और संयमित जीवनशैली अपनानी चाहिए।”

मधुमेह रोगियों में हड्डियों और जोड़ों के विकारों का खतरा अधिक होने की बात करते हुए चेन्नई स्थित मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर की एमडी (पैथोलॉजी) डॉ. अनीता सूर्यनारायण ने कहा, “डाइबेटिक न्यूरोपैथी, धमनी रोग और मोटापा जैसे कारक हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। टाइप 1 मुधमेह रोगियों को ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा मधुमेह रोगी ‘द डाइबिटिक हैंड सिंड्रोम’ स्थिति को लेकर भी अधिक संवेदनशील होते हैं, जिसमें धीरे-धीरे हाथों की अंगुलियां निष्क्रिय होने लगती हैं। मधुमेह रोगी ऐसी स्थितियों और विकारों से बचने के लिए नियमित जांच करवाएं और सावधानी बरतें।”

डब्ल्यूएचओ की 7 अप्रैल, 2016 की रपट के अनुसार, मधुमेह से 2012 में पूरी दुनिया में 15 लाख लोगों की मौत हुई थी। 2014 में 42.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित थे। यह आंकड़ा पूरी दुनिया की वयस्क आबादी का लगभग 8.5 प्रतिशत था।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, विश्व में 2030 तक विभिन्न रोगों से होने वाली मौतों में मधुमेह सातवां रोग हो सकता है। साथ ही डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को इस पर नियंत्रण के लिए आगाह भी किया है।

पंजाब के अमनदीप अस्पताल के मुख्य ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अवतार सिंह ने कहा, “मधुमेह के मामले दिन पर दिन बढ़ रहे हैं। मधुमेह बोन मैरो की कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है, जो तीव्र दर्द और विकलांगता का कारण बन सकता है। इलाज व दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन संतुलित जीवनशैली और पर्याप्त शारीरिक व्यायाम से हड्डियों को बचाने में मदद मिल सकती है।”

लाइफ स्टाइल

गर्मियों में रोजाना मूली खाने से होंगे कई फायदे, आज ही करें डाइट में शामिल

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benefits of eating radish daily in summer

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नई दिल्ली। लोगों को लगता है कि मूली केवल सर्दियों में उगती है और इसे तभी खाया जाता है, लेकिन मूली की कुछ किस्मे बसंत और गर्मियों में भी उगती हैं, जैसे कि गाजर। सफ़ेद मूली भारत में सबसे अधिक पाई जाने वाली किस्म है, जो स्प्रिंग-समर सीजन में मिलती है।

इसके अलावा मूली की अन्य किस्में भी हैं, जिसमें गुलाबी और कभी-कभी काले रंग की मूली शामिल है। हालांकि, कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती, लेकिन हम आपको इसके कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप इसे खाने से परहेज नहीं करेंगे।

सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मूली?

RBC को बढ़ाए: मूली हमारे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) के डैमेज को होने से रोकता है और इस प्रक्रिया में खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी बढ़ाता है।

हाई फाइबर: अगर मूली को रोजाना सलाद के हिस्से के रूप में खाते हैं, तो यह शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है, जिससे डाइजेशन में सुधार होता है।

दिल के लिए फायदेमंद: मूली एंथोसायनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है और जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। साथ ही इनमें विटामिन सी, फोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: मूली पोटेशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है। खासकर अगर आप हाई बीपी से पीड़ित हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाए: मूली में हाई विटामिन सी होने के कारण यह सामान्य सर्दी और खांसी से बचा सकता है और इम्यूनिटी में भी सुधार कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको रोजाना मूली खाने की जरूरत होती है। इसके अलावा यह फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है।

ब्लड वैसल्स को मजबूत करता है: मूली कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बदले में ब्लड वैसल्स को बूस्ट करती है और एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को कम करती है।

मेटाबॉलिज्म के लिए फायदेमंद: यह रूट वेजिटेबल न केवल डाइजेशन के लिए अच्छी है, बल्कि यह एसिडिटी, मोटापा, गैस्ट्रिक समस्याओं और मतली जैसी परेशानियों को ठीक करने में भी मदद करती है।

न्यूट्रिशन से भरपूर: लाल मूली में विटामिन ई, ए, सी, बी6 और के होता है और यह सभी हमारे शरीर को अच्छी तरह से फंक्शन करने में मदद करती है।

स्किन के लिए फायदेमंद: हर दिन मूली का रस पीने से स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और ऐसा ज्यादातर विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस के गुणों के कारण होता है।

इसके अलावा ड्राईनेस, मुंहासे, फुंसी और रैशेज को भी दूर रख जा सकता है। वहीं मूली के रस को बालों में लगाते हैं, तो यह डैंड्रफ को दूर करने में भी मदद करता है, बालों का झड़ना रोकता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।

हाइड्रेट: गर्मियों में मूली खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।

डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

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