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हड़ताल से ओडिशा में कोयला खनन प्रभावित

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भुवनेश्वर। कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश देने की सरकार की योजना के विरोध में सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रमुख श्रमिक संगठनों की पांच दिवसीय हड़ताल मंगलवार को शुरू हो गई। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) के जनसंपर्क अधिकारी डिक्के न मेहरा ने कहा, “सीआईएल की सहायक इकाई एमसीएल से संचालित दो कोयला खदानों में से किसी में भी उत्पादन और ढुलाई नहीं हुई। कामगार सुबह छह बजे पहली पाली में नहीं पहुंचे।”

एमसीएल का मुख्यालय संबलपुर जिले के बुरला में स्थित है। यह राज्य में 15 ओपेन कास्ट अैर छह भूमिगत खदान का संचालन करती है।

कंपनी का दैनिक उत्पादन करीब चार लाख टन है। यह दक्षिण भारत और ओडिशा में कई बिजली कंपनियों को कोयले की आपूर्ति करती है, जिनमें एनटीपीसी, तलचर थर्मल पॉवर स्टेशन और नाल्को जैसी कंपनियां शामिल हैं।

कोल इंडिया का देश में कोयला उत्पादन पर लगभग एकाधिकार है और वह देश के उत्पादन में करीब 82 फीसदी योगदान करती है।

हड़ताल में शामिल संगठनों में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) और हिंद मजदूर संघ शामिल हैं। ये कोल इंडिया के करीब पांच लाख श्रमिकों में से करीब 90 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस हड़ताल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल है और केंद्र में इस समय भाजपा की सरकार है।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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