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नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा : नीलेकणि

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                       नंदन नीलेकणि

नई दिल्ली | यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा है कि नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यहां शनिवार को टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल में नलिन मेहता से बातचीत के दौरान नीलेकणि ने कहा, “तथ्य यह है कि हमने मुद्रा प्रणाली को एक जोर का झटका दिया है, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।”

सूचना-प्रौद्योगिकी की शीर्ष कंपनी इंफोसिस के पूर्व प्रमुख ने कहा कि लोगों का नोट पर से विश्वास कम हुआ है, इसलिए वे निश्चित तौर पर इसके दूसरे विकल्प के बारे में सोचेंगे।

खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों को पेश आ रही परेशानी के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक फैसले पर नहीं, बल्कि परियोजना की खासियत पर टिप्पणी करेंगे।

नीलेकणि ने कहा, “मुझे पता है कि कुछ असुविधाएं हुई हैं और यह समस्या कुछ दिनों की है। लेकिन पिछले सात साल से हम अपनी अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने के लिए पहले से ही प्रयासरत हैं।”

उन्होंने कहा कि यह परेशानी कुछ दिनों की है, लेकिन अगले तीन महीनों में जो डिजिटाइजेशन होगा, उसे होने में तीन साल का वक्त लगता।

नीलेकणि ने कहा कि समय की मांग ग्राहकों द्वारा कैशलेस भुगतान की है, जो दीर्घावधि में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।

उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार देश में माइक्रो-एटीएम की संख्या बढ़ाएगी।

यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने उनके द्वारा लाई गई आधार प्रणाली को आगे बढ़ाया और उसे अपनी तरह से पेश किया? नीलेकणि ने कहा कि परियोजना की सफलता महत्वपूर्ण है।

नीलेकणि ने कहा, “मैं इस बात को लेकर खुश हूं कि न सिर्फ इसे स्वीकार किया गया, बल्कि इसमें गति लाई गई। आधार परियोजना की अधिक से अधिक सफलता सर्वोपरि है।”

 

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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