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प्रादेशिक

केरल में माकपा के नए नेता का चुनाव

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तिरुवनंतपुरम| मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राज्य सचिव के चुनाव के लिए गुरुवार को जिला स्तरीय बैठक का अगला दौर शुरू कर दिया। नए सचिव पिनारायी विजयन की जगह लेंगे। इस बैठक के दौरान माकपा राज्य इकाई के 14 जिला सचिवों का चुनाव किया जाएगा।

पिछले कुछ दशकों में केरल में माकपा दो गुटों में बंट रहा है, एक की कमान विजयन संभालते हैं और इन्हें व्यापक समर्थन है, जबकि दूसरे की कमान पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस.अच्युतानंदन के हाथ में है।

पिनारायी विजयन और पांच जिला सचिवों को पार्टी के नियमों के अनुसार इस साल अपना पद छोड़ना होगा।

91 वर्षीय अच्युतानंदन ने कहा कि वह आजीवन पार्टी के साथ खड़े रहेंगे। इससे संकेत गया है कि उन्होंने खुद को अपने प्रतिद्वंद्वी विजयन से मुकाबले के लिए तैयार कर लिया है।

जिला स्तर की गुरुवार की बैठक के लिए अच्युतानंदन तथा विजयन अलप्पुझा में हैं। जिला इकाई के सदस्य 84 सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव करेंगे।

यदि पार्टी के वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखा जाए, तो नया सचिव विजयन की पसंद का हो सकता है।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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