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प्रादेशिक

..और पूरा हुआ तेलंगाना का सपना

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हैदराबाद| साल 2014 चंद रोज बाद इतिहास में दर्ज हो जाएगा और इसे बार-बार याद किया जाएगा, क्योंकि 58 वर्ष पहले वजूद में आए आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य के गठन का सपना इसी साल पूरा हुआ।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के संसद में पारित होने को लेकर दिखे कुछ नाटकीय घटनाक्रम के बाद तेलंगाना दो जून को देश के 29वें राज्य के रूप में सत्ता में आया।

इस पिछड़े इलाके के लोग छह दशक पुराने सपने के पूरे होने पर खुशी से झूम उठे, वहीं आंध्र प्रदेश में कुछ दिनों तक अंधेरा छाया रहा, लेकिन तेलुगूभाषी लोगों ने धीरे-धीरे दो राज्यों के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया।

साल 2014 की शुरुआत तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के मई में कार्यकाल पूरा होने से पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन की कोशिशों के साथ शुरू हुई। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को पिछले दिसंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी और फिर इसे आंध्र प्रदेश विधानमंडल भेजा गया, जिसे 23 जनवरी तक राय जाहिर करने को कहा गया।

विधेयक को विशेष विमान से हैदराबाद लाया गया, जिसे विधानसभा और विधान परिषद के समक्ष पेश किया गया, जिस दौरान सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश) और तेलंगाना के सदस्यों ने हंगामा किया। कई दिनों के गतिरोध के बाद अंतत: विधेयक पर चर्चा शुरू हुई।

विभाजन का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया और विधेयक को खारिज करने वाला प्रस्ताव पेश किया।

गतिरोध के बीच दोनों सदनों ने 30 जनवरी को विधेयक को खारिज करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया और राष्ट्रपति से मांग की कि वह संसद में इसे न भेजें। रेड्डी ने अपनी मांग को लेकर दिल्ली में धरना भी दिया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात फरवरी को विधेयक पारित कर दिया, जो कि संसद के दोनों सदनों में उस अप्रत्याशित घटना के बीच पारित हो गया, जब सीमांध्र से सांसद एल. राजागोपाल ने लोकसभा में मिर्च पाउडर का इस्तेमाल किया।

सरकार ने सीमांध्र नेताओं को शांत करने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की। हालांकि, रेड्डी ने बावजूद इसके मुख्यमंत्री पद और कांग्रेस सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

मार्च में राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही 1956 में गठित हुए आंध्र प्रदेश राज्य दो भागों में बंट गया।

तेलंगाना के गठन के बावजूद कांग्रेस को उस वक्त झटका लगा जब तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इसके साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया।

टीआरएस को राज्य के गठन का राजनीतिक लाभ भी मई में हुए विधानसभा चुनाव में मिला, जब उनकी पार्टी को राज्य में बहुमत मिला और पार्टी प्रमुख के.चंद्रशेखर राव ने दो जून को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया।

इधर, कांग्रेस को सीमांध्र में भी झटका मिला, जहां विधानसभा चुनाव में यह एक भी सीट नहीं जीत पाई। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन.चंद्रबाबू नायडू ने आठ जून को आंध्र प्रदेश में सरकार बनाई।

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मध्य प्रदेश: भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जेपी किरार की सड़क हादसे में मौत

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रायसेन। मध्य प्रदेश में रायसेन जिले के भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जयप्रकाश किरार की सड़क हादसे में मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जयप्रकाश किरार शनिवार-रविवार की दरमियानी रात अपने साथियों के साथ उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन कर रायसेन लौट रहे थे।

रायसेन के करीब सांची रोड पर ग्राम खानपुरा में उनकी कार का टायर पंचर हो गया था। जब वह इसे बदल रहे थे, तभी एक ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी।

इस हादसे में किरार गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जयप्रकाश किरार भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके थे। वे मूल रूप से विदिशा के निवासी हैं। उनकी पत्नी भी अनीती किरार भी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं।

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