अन्तर्राष्ट्रीय
श्रीलंका के सैन्य शिविर में भयावह आग, सैनिक की मौत
कोलंबो। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बाहर कोसगमा शहर स्थित एक सैन्य शिविर में भयंकर रूप से आग लग गई, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और 47 लोग घायल हो गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को कहा गया कि अस्पताल में भर्ती अधिकांश लोगों को अलग-अलग तकलीफ की शिकायत थी और उन्हें इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है।
सैन्य शिविर में आग रविवार शाम लगी। सेना की ओर से कहा गया है कि आग पर सोमवार तड़के तक काबू पा लिया गया।
सैन्य शिविर के एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को अपने घरों को लौटने की इजाजत दे दी गई है।
आग लगने की वजह से कई धमाके हुए, जिसके चलते पुलिस आसपास रहने वाले लोगों को वहां से हटाने के लिए विवश हो गई।
सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जयंत जयवीरा ने कहा कि आग एक शस्त्रागार में लगी थी और बाद में सैन्य शिविर तक पहुंच गई थी।
उन्होंने कहा कि आग बुझाने में वायुसेना व नौसेना ने मदद की, जबकि कोलंबो अग्निशमन दल भी जुटा रहा।
सैन्य कमांडर क्रिशांता डिसिल्वा ने सोमवार को सैन्य शिविर का मुआयना किया और घटना की जांच भी शुरू करा दी है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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