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सीबीएसई 10वीं का परिणाम घोषित, लड़कियों ने मारी बाजी

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नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा का परिणाम शनिवार को घोषित कर दिया गया, जिसमें एक बार फिर लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है। सीबीएसई ने सभी 10 क्षेत्रों के परिणामों की घोषणा की है। अन्य क्षेत्रों की तुलना में तिरुवनंतपुरम में रिकॉर्ड 99.87 फीसदी विद्यार्थियों ने सफलता पाई है।

सीबीएसई के मुताबिक, परीक्षा में 14,91,293 विद्यार्थी शामिल हुए थे। परीक्षा एक मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चली थी। पिछले साल की तुलना में इस साल 8.5 फीसदी अधिक विद्यार्थियों का पंजीकरण हुआ था। सीबीएसई के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल 96.21 फीसदी विद्यार्थियों ने सफलता अर्जित की है। बोर्ड के मुताबिक, कुल 97.32 फीसदी विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए हैं।

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।

पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।

नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

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