उत्तराखंड
स्टिंग मामले में सीबीआई जांच पर स्टे देने से कोर्ट का इन्कार
सीबीआई जांच को हरीश रावत ने दी चुनौती
देहरादून। स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच पर स्टे लगाने के मामले में हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को राहत नहीं दी है। कोर्ट ने इस प्रकरण दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सीएम हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही अदालत ने हरीश रावत को जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। ज्ञात हो कि सीबीआई जाँच पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी है। उत्तराखंड कैबिनेट का याचिका में हवाला देते हुए सीबीआई जाँच रोकने की मांग की गयी है। दरअसल सीबीआई की ओर से उत्तराखंड कैबिनेट का फैसला नकारे जाने के बाद हरीश रावत अब हाईकोर्ट की शरण में पहुँचे हैं।
हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की प्रक्रिया पर स्टे देने से इंकार किया है। याचिका में दस दिन के लिए जांच प्रक्रिया रोकने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तारी पर स्टे हो सकता है, जाँच होने देनी चाहिए। कोर्ट में सीबीआई की ओर से अधिवक्ता अरविन्द वशिष्ठ पक्ष रख रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 मई की तिथि नियत करते हुए कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि वह चाहे तो इस प्रकरण पर अपना जवाब दाखिल कर सकती है। साथ ही अदालत ने सीबीआई को मुख्यमंत्री के पद की गरिमा के अनुरूप जांच करने को कहा है।
सीएम हरीश रावत ने हाईकोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर कर स्टिंग ऑपरेशन प्रकरण में सीबीआई की प्रारंभिक जांच को चुनौती देते हुए उसे निरस्त करने की मांग की थी। याचिका में कहा था कि राष्ट्रपति शासन के दौरान 2 अप्रैल 2016 को राज्यपाल ने स्टिंग ऑपरेशन की जांच की संस्तुति की थी। केंद्र सरकार ने उसी दिन स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की थी। सीबीआई ने याची से 9 मई 2016 को पेश होने के लिए कहा था। किंतु 9 मई को ही हरीश रावत ने सीबीआई को पत्र लिखकर कहा कि 10 मई को उन्हें विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना है।
उससे पहले 9 मई को कांग्रेस विधानसभा दल की बैठक है। इसलिए वह 9 मई को सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हो सकते और वे भविष्य में सीबीआई की जांच में सहयोग करेंगे। याचिका में कहा कि जब सीबीआई जांच की संस्तुति की गई थी तब राज्य सरकार अस्तित्व में नहीं थी। अब सरकार अस्तित्व में है और स्टिंग ऑपरेशन मामले की जांच करने में राज्य पुलिस सक्षम है। इसलिए सीबीआई जांच निरस्त कर दी जाए। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि राज्य कैबिनेट की बैठक में सीबीआई जांच की संस्तुति वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
इन तर्कों का विरोध करते हुए सीबीआई के अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने सीबीआई की जांच संबंधी अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है। इसके अलावा राज्य कैबिनेट ने मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में सीबीआई जांच की संस्तुति वापस लेने का फैसला लिया, जबकि आरोप मुख्यमंत्री पर थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अभी मामले की प्रारंभिक जांच चल रही है और मुख्यमंत्री हरीश रावत जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए कानून के हित में जांच जारी रहनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की अदालत ने पक्षों की सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग आपरेशन की प्रारंभिक जांच पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए हरीश रावत को जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने प्रदेश सरकार की ओर से सीबीआई जांच की अधिसूचना वापस लेने के फैसले को कायरतापूर्ण कदम करार दिया है। उन्होने कहा कि यदि मुख्यमंत्री पाक साफ हैं तो वे सीबीआई जांच से क्यों घबरा रहे हैं। चौहान ने कहा कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के विरुद्ध न्यायालय में याचिका दायर की है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने खरीद फरोख्त का गुनाह किया है।
उत्तराखंड
चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद
हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।
50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध
उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।
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