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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान से निकाले जाएंगे अवैध अफगानी

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पेशावर| पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री परवेज खटक ने कहा है कि इस क्षेत्र से अवैध अफगानियों को बाहर निकालने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाएगी। डॉन ऑनलाइन के मुताबिक, वैध अफगान शरणार्थियों की स्वदेश वापसी के लिए एक व्यवस्था का जितनी जल्दी संभव हो सकेगा, विकास किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “उसी प्रकार खैबर पख्तूनख्वा तथा देश के बाकी हिस्सों को शरारती तत्वों से सुरक्षित करने के लिए संघीय शासित कबीलाई क्षेत्र (एफएटीए) के साथ हमारी सीमा पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। एफएटीए सीमाओं पर फ्रंटियर कोर की तैनाती भी जरूरी है।” खटक ने कहा कि स्थायी शांति, समृद्धि तथा प्रगति तभी संभव है, जब कैद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के स्वर्णिम सिद्धांतों का कठोरता से पालन किया जाएगा। उन्होंने प्रांत के लोगों को चुनी हुई सरकार में पूरा भरोसा रखने के लिए कहा, क्योंकि वह शांति, सुरक्षा व समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय कर रही है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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