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अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अस्पतालों पर होने वाले हमलों की निंदा की

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अस्पतालों पर होने वाले हमलों की निंदा की

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अस्पतालों पर होने वाले हमलों की निंदा की

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मंगलवार को हिंसक संघर्ष के दौरान चिकित्सा एवं मानवीय कर्मियों पर होने वाले हमलों की निंदा के लिए एक प्रस्ताव अंगीकार किया। इसमें संबंधित पक्षों से चिकित्सीय कामों में लगे लोगों को सुरक्षित व हिफाजत से महफूज स्थानों पर जाने की अनुमति होने की मांग रखी गई है। संयुक्त राष्ट्र परिषद के 15 देशों ने यह प्रस्ताव सीरिया में अस्पतालों पर सिलसिलेवार हमलों के बाद सर्वसम्मति से पारित किया है। मंगलवार सुबह सीरिया के अलेप्पो शहर में एक अस्पताल पर रॉकेट हमला हुआ, जिसमें दर्जनों नागरिक मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। वहीं, पिछले सप्ताह विद्रोहियों के कब्जे वाले पड़ोसी इलाके अलेप्पो में अल कुद्स अस्पताल पर एक लड़ाकू विमान ने मिसाइल दागी थी।

प्रस्ताव में सभी पक्षों से चिकित्सीय कामों में शामिल कर्मचारियों, उनके आवागमन के साधनों व उपकरणों के साथ-साथ अस्पतालों व अन्य चिकित्सीय सुविधाओं के खिलाफ हिंसक गतिविधियों से बचने और प्रभावी उपाय ईजाद करने का अनुरोध किया गया है।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अस्पतालों पर प्रत्यक्ष एवं जानबूझकर किए गए हमले ‘युद्ध अपराध’ हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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