अन्तर्राष्ट्रीय
नेपाल : संविधान मसौदे पर विपक्ष चाहता है आम सहमति
काठमांडू| नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने संविधान का नया मसौदा तैयार करने से पहले आम सहमति नहीं बनाए जाने के कारण विपक्ष ने अंतिम तिथि से पहले इस प्रकिया का विरोध करने की घोषणा की है। संविधान का नया मसौदा तैयार करने की अंतिम तिथि 22 जनवरी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यूनिफाइड कम्युनिटी पार्टी ऑफ नेपाल-माओइस्ट (यूसीपीएन-एम) के नेतृत्व वाली 19 पार्टियों के गठबंधन ने सड़क पर अपने विरोध को तेज करने का फैसला किया है। गठबंधन का कहना है कि पार्टियां बिना आम सहमति के नया संविधान घोषित किए जाने के पक्ष में नहीं है।
22 जनवरी आने में सिर्फ 30 दिन ही शेष हैं, लेकिन संविधान मसौदे को लेकर पार्टियों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है। अधिकारियों के अनुसार, संघवाद, सरकार के प्रारूप, न्यायपालिका और चुनाव व्यवस्था में मतभेद के कारण नए संविधान बनने की उम्मीद कम हो गई है। विपक्षी पार्टियां जनवरी में 75 जिलों में प्रदर्शन का आयोजन करेंगी।
नौ से 13 जनवरी के बीच विभिन्न हिस्से में हड़ताल बुलाई जाएगी और 19 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। विपक्षी पार्टी के नेताओं ने कहा कि सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियों के बीच कई चरण की बैठक में कोई सकारात्मक नतीजे नहीं आने के बावजूद यह सरकार के साथ बातचीत जारी रखेगी।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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