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राष्ट्रपति ने वेंकटस्वामी के निधन पर शोक जताया
नई दिल्ली| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जी. वेंकटस्वामी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमने एक श्रेष्ठ नेता को खो दिया है जिसने हमेशा समाज के कमजोर लोगों के उत्थान के लिए कार्य किया।” वेंकटस्वामी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। वह 85 वर्ष के थे। उनके बेटे जी. विवेकानंद को भेजे अपने शोक संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जी. वेंकटस्वामी के निधन की जानकारी से मुझे गहरा दुख हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा, “वेंकटस्वामी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, अनुभवी सांसद और एक सक्षम प्रशासक थे, जिन्होंने अलग-अलग पदों पर रहकर देश की सेवा की। उन्होंने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में विशिष्ठता से कार्य किया।” उन्होंने कहा, “वेंकटस्वामी के निधन से हमने एक श्रेष्ठ राजनेता खो दिया है। उन्होंने हमेशा समाज के वंचित और कमजोर लोगों के उत्थान के लिए कार्य किया।”
राष्ट्रपति ने कहा, “कृपया अपने परिवार के शोक संतप्त सदस्यों और वेंकटस्वामी के अनगनित मित्रों और शुभचिंतकों को मेरी ओर से हार्दिक सहानुभूति दें। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह आपको और आपके परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति और साहस प्रदान करे।”
अपने समर्थकों के बीच वेंकटस्वामी काका के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। वेंकटस्वामी तेलंगाना से ताल्लुक रखते थे। वह सात बार लोकसभा के लिए चुने गए। अंतिम बार वह 2004 में चुनाव जीतकर लोकसभा आए थे।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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