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उत्तराखंड

क्षेत्रीय दल एकजुट हों तो बन सकते हैं ताकत

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उत्‍तराखण्‍ड के क्षेत्रीय दल, यूकेडी उपपा प्रजामंडल स्वराज मोर्चा आम आदमी पार्टी

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उत्‍तराखण्‍ड के क्षेत्रीय दल, यूकेडी उपपा प्रजामंडल स्वराज मोर्चा आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी भी हो सकती है गठबंधन में शामिल

सुनील परमार

देहरादून। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने व बदले राजनीतिक हालात के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। क्षेत्रीय दलों की महत्वकांक्षाएं भी ऐसे माहौल में हिलोरे मारने लगी हैं। हालांकि ये छोटे दल जानते हैं कि चुनाव में उनकी क्या गति हो जाती है, इसके बावजूद वह अपने-अपने तरीकों से जनता के बीच जाने की कोशिश में जुट गये हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अकेले दम पर कोई भी क्षेत्रीय दल कोई चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ सकेगा, लेकिन यदि सभी छोटे दल एकजुट हो जाते हैं तो भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं।

यूकेडी, उपपा, प्रजामंडल, स्वराज मोर्चा से उम्मीदें

प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस विधायकों के अंकगणित को सुलझाने में जुटे हुए हैं। विधायक देश भर में फाइव स्टार होटल में ठहरे हैं या जंगल सफारी कर मौज कर रहे हैं तो जनता राशन और गैस की लाइन में लगी इन नेताओं को कोस रही है। राजनीतिक पतन की यह दशा देख कुछ क्षेत्रीय दल भी सक्रिय हो गये हैं। मलेथा जनांदोलन की उपज समीर रतूड़ी ने प्रजामंडल पार्टी का गठन किया है तो भाजपा शासन काल में दर्जाधारी आदित्य कोठारी ने स्वराज मोर्चा बनाया है। यूकेडी को कुर्सी का सिंबल मिल गया है तो उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी को नैनीसार मुद्दे से खासी पहचान मिली है। हालांकि यदि कार्यकर्ताओं की बात हो तो इन सब दलों को मिलाकर पांच हजार का आंकड़ा भी बमुश्किल पहुंचेगा।

निजी हित आड़े न आए तो हो सकता है गठबंधन

राजनीति के जानकारों का मानना है कि क्षेत्रीय दल इसलिए जनसमर्थन को वोट में तब्दील नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनका संदेश जनता में ठीक से नहीं पहुंचता है। इसके अलावा इन दलों के नेताओं में अहम व निजी स्वार्थ आड़े आ जाते हैं। इसका परिणाम यह रहा है कि प्रदेश में क्षेत्रीय दल पनप नहीं सके हैं। एक कारण यह भी रहा है कि भाजपा और कांग्रेस ने छोटे दलों में अपने समर्थकों को फिट कर दिया है। यह मुखबरी का काम करते हैं साथ में फूट डलवाने का भी। ऐसे में छोटे दलों के और भी टुकड़े हो जाते हैं। पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती का कहना है कि छोटे दल तब तक राजनीति में पहचान नहीं बना पाते हैं जब तक कि वह जनता के बीच में जाकर काम नहीं करते। इसके अलावा संसाधनों की कमी होने से भी वह जनसमर्थन को वोट में मुश्किल से बदल पाते हैं। यदि छोटे दल एकजुट हों तो संभव है कि बेहतर परिणाम निकले।

 

उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद

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हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।

50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।

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