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स्पेक्ट्रम नीलामी, कॉल ड्रॉप, 4जी दूरसंचार के प्रमुख बिंदु

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स्पेक्ट्रम नीलामी, कॉल ड्रॉप, 4जी दूरसंचार, प्रमुख बिंदु

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अपराजिता गुप्ता

नई दिल्ली| स्पेक्ट्रम नीलामी, 4जी लांचिंग, कॉल ड्रॉप और टॉवरों का अभाव वर्ष 2015 में देश के दूरसंचार उद्योग के प्रमुख अच्छी-बुरी बातें रही हैं। साल की शुरुआत में स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 1.10 लाख करोड़ रुपये (17.6 अरब डॉलर) आय हुई, जिसमें देश के 22 में से 17 दूरसंचार सर्किलों में कुल 380.75 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए। नीलामी में आईडिया सेल्युलर, भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस जियो, टाटा टेलीसर्विसिस, टेलीनॉर और एयरसेल ने हिस्सा लिया। नीलामी में हालांकि कंपनियों को काफी महंगी बोली लगानी पड़ी। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने कहा, “नीलामी के कारण कंपनियों का काफी धन खर्च हुआ, जिससे उद्योग पर दबाव और बढ़ गया, जिसपर अभी 3.5 लाख करोड़ रुपये (53.8 अरब डॉलर) का कर्ज है।”

इस साल दूरसंचार उद्योग में कॉल ड्रॉप एक बड़ी समस्या रही और यह संकट इतना विकट हुआ कि इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिंता जतानी पड़ी और दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को यह कहना पड़ा कि वह नहीं चाहते कि उन्हें ‘कॉल ड्रॉप मंत्री’ कह कर याद किया जाए। इस समस्या से ग्राहकों को निजात दिलाने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अक्टूबर मध्य में यह व्यवस्था बनाई कि प्रत्येक कॉल ड्रॉप पर कंपनी ग्राहक के खाते में एक रुपये जमा करेगी। व्यवस्था एक जनवरी से लागू होगी।

दूरसंचार टॉवरों से खतरनाक विकिरण निकलने की आम जनता की शिकायतों के कारण इस साल बड़ी संख्या में टॉवरों का संचालन बंद किया गया। इससे दूरसंचार संपर्क और प्रभावित हुआ। देश में 4जी मोबाइल नेटवर्क की लांचिंग इस वर्ष की एक अन्य बड़ी घटना रही। भारती एयरटेल ने देश के 296 शहरों में 4जी सेवा लांच कर दी है। वोडाफोन इंडिया ने भी 14 दिसंबर को अपनी 4जी सेवा का श्रीगणेश कर दिया, जबकि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो कभी भी इसे लांच कर सकती है। दूरसंचार परामर्श कंपनी कॉम फर्स्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश उप्पल ने कहा, “4जी परितंत्र अब भी 3जी से कमजोर है। उदाहरण के लिए 4जी के मुकाबले 3जी फोन सस्ते हैं और उनकी संख्या भी अधिक है।”

इस साल कंपनियों द्वारा दूरसंचार टॉवरों की बिक्री भी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रही। उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने टॉवर संपत्ति और संबंधित अवसंरचना की बिक्री के लिए अमेरिकी कंपनी टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स और टीपीजी एशिया से गैर-बाध्यकारी करार किया है। भारत संचार निगम लिमिटेड को भी टॉवर संपत्ति को अलग कर एक नई कंपनी बनाने के लिए मंत्रिमंडल की अनुमति मिल गई है। प्रमुख अधिग्रहण और विलय में इस साल रिलायंस कम्युनिकेशंस ने रूस की कंपनी सिस्तेमा के भारतीय दूरसंचार कारोबार को खरीदने के लिए एक करार किया है। सरकार ने स्पेक्ट्रम की कमी दूर करने के लिए स्पेक्ट्रम साझेदारी और स्पेक्ट्रम बिक्री की भी अनुमति दे दी है।

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पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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