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नाराज एस. एम. कृष्णा ने कांग्रेस से नाता तोड़ा
बेंगलुरु| पूर्व विदेश मंत्री एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. एम. कृष्णा ने रविवार को यह कहते हुए कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें हाशिये पर डाल दिया है। 84 वर्षीय कृष्णा ने यहां भावुक होकर संवाददाताओं से कहा, “पार्टी की 46 वर्षो तक सेवा के बाद मैंने आत्मसम्मान और अपनी गरिमा की रक्षा के लिए कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया है। हाईकमान ने मेरी उम्र के कारण मुझे अलग-थलग कर दिया है।”
कृष्णा ने स्पष्ट कर दिया कि वह राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र भेजकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
पत्र में कहा गया है, “मैं कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं।”
कृष्णा ने जोर देकर कहा कि उम्र मानसिक दशा होती है। यह किसी व्यक्ति के काम करने की क्षमता के लिए मानक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि साल 2012 में बिना किसी वैध कारण के पार्टी आलाकमान ने उन्हें विदेश मंत्री पद से हटा दिया था।
कृष्णा ने कहा, “पार्टी छोड़ने को लेकर मैंने अपनी पत्नी के अलावा किसी से परामर्श नहीं किया। हालांकि यह मेरे जीवन में एक दुखद क्षण है, लेकिन मैंने किसी से भी नहीं कहा कि मैं पार्टी से इस्तीफा देने जा रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि उनका मन बदलने के लिए दिल्ली में पार्टी नेतृत्व ने प्रयास किए हैं।
कृष्णा ने कहा, “इस्तीफा भेजने के बाद पार्टी नेतृत्व ने मेरे अस्तित्व को पहचाना, इसके लिए मैं उनका ऋणी हूं। लेकिन, पार्टी छोड़ने के मेरे निर्णय में कोई बदलाव नहीं हुआ है।”
कृष्णा साल 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री, संप्रग के दूसरे कार्यकाल में 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री और साल 2005 से 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। वह राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
उन पर भरोसा करने और उनकी उम्र और पार्टी में वरिष्ठता के मद्देनजर उनका सम्मान करने के लिए सोनिया गांधी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कृष्णा ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की है।
कांग्रेस के साथ लगभग पांच दशकों के जुड़ाव को याद करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं समझता हूं कि कांग्रेस अभी संकट में है, क्योंकि उसके पास नेहरू, इंदिरा और राजीव जैसे नेता नहीं हैं। इसके कामकाज प्रबंधक देखते हैं, न कि अनुभवी नेता और जमीनी कार्यकर्ता।”
कृष्णा ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि उनकी निष्कपटता और पार्टी के साथ लंबे समय तक उनका जुड़ाव उन लोगों के लिए मायने नहीं रखता है जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पार्टी का कामकाज देखते हैं।
भावी योजना के बारे में पूछे जाने पर वयोवृद्ध नेता ने कहा कि वह समर्थकों और मित्रों के साथ चर्चा और विचार विमर्श के बाद इसके बारे में बताएंगे।
कृष्णा ने प्रधानमंत्री के साथ उनकी मुलाकात की खबर को भी सिरे से खारिज किया। स्थानीय मीडिया में इस आशय की खबर छपी थी।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की मेरी कोई योजना नहीं है।”
अपने अगले राजनीतिक कदम को लेकर लग रही अटकलों का उपहास उड़ाते हुए कृष्णा ने कहा कि समय आत्मचिंतन, सोचने और मनन करने का है।
नेशनल
पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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