अन्तर्राष्ट्रीय
परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित इस्तेमाल में सहयोग पर सहमति
सियोल | दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित प्रयोग के लिए संयुक्त शोध और सूचना के आदान प्रयोग में सहयोग करने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री अहन चोंग-घी और अमेरिका की उप ऊर्जा मंत्री एलिजाबेथ शेरवुड रैंडेल के बीच सोमवार को वाशिंगटन में यह समझौता किया गया।
समझौते के तहत दोनों देशों ने इस्तेमाल किए जा चुके परमाणु ईंधन के सुरक्षित परिवहन, भंडारण और निपटान के लिए संयुक्त शोध करने का फैसला किया है। इसके अलावा दोनों देश संबंधित तकनीकों पर सूचना भी साझा करेंगे।
मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश वैश्विक परमाणु ईंधन बाजार पर शोध भी करेंगे और शोध के परिणामों के आधार पर वे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को ईंधन की सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने के तरीके ढूंढने में भी सहयोग करेंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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