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मुख्य समाचार

हाईकोर्ट से उप्र सरकार को झटका, रद्द की शिक्षामित्रों की नियुक्ति

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उत्तर प्रदेश, प्राइमरी स्कूल, शिक्षामित्र, इलाहाबाद हाईकोर्ट, एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति

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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है।  शनिवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया। चीफ जस्टिस के अलावा इस बेंच में जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा थे।  शिक्षामित्रों की नियुक्तिक का आदेश बीएसए ने जारी किया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया।

शिक्षामित्रों की नियुक्तिय को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में समायोजित करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की दलीलें कई दिनों तक सुनीं। हाईकोर्ट ने कहा, ‘चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलि‍ए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती।’

शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है, इसलि‍ए इनकी नियुक्तिा में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है।  हालांकि कोर्ट ने इसे नहीं माना।  यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का चयन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी के कारण किया गया है।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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