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प्रादेशिक

सस्पेंड आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सरकार से मांगे 67 अभिलेख

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख पर धमकाने का आरोप लगाने के बाद निलंबित किए गए आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने प्रदेश सरकार से अपने विभागीय कार्यवाही के संबंध में 67 अभिलेख मांगे हैं। ठाकुर ने शासन में प्रमुख सचिव (गृह) को पत्र लिखा है।

ठाकुर ने बताया कि प्रमुख सचिव (गृह) को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि वह शुरू से ही कह रहे हैं कि उनके मामले में बिना उनका स्पष्टीकरण प्राप्त किए और बिना व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिए अखिल भारतीय अनुशासन और अपील नियमवली के नियम 8 के विपरीत जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। साथ ही उन्हें इस जांच में अपना पक्ष रखे जाने के लिए कोई भी आवश्यक अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, जबकि उन पर देहरादून, रामपुर, शाहजहांपुर, इलाहबाद, बाराबंकी सहित तमाम स्थानों पर विधिविरुद्ध कार्यवाही करने के आरोप लगाए गए हैं।

ठाकुर ने कहा कि चूंकि वह भी राज्य कर्मचारी हैं, ऐसे में शासन का यह दायित्व है कि उनके साथ कोई अन्याय न हो और उन्हें अपने बचाव का पूरा अवसर मिले। ठाकुर ने पत्र के माध्यम से शासन से यह मांग की है कि उन्हें उन पर लगे 16 आरोपों के संबंध में अपनी पूरी बात कहने के लिए इनसे संबंधित समस्त आवश्यक अभिलेख अवश्य ही उपलब्ध कराए जाएं।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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