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सरदार सरोवर में डूबेगी नर्मदा घाटी की सभ्यता-संस्कृति
भोपाल, 6 अगस्त (आईएएनएस)| देश और दुनिया में संस्कृति और सभ्यता की खोज के बड़े-बड़े अभियान चलते हैं। इसके लिए सरकारें विभाग बनाकर बेहिसाब धन खर्च करती हैं, मगर मध्यप्रदेश में ठीक इसके उलट होने जा रहा है। यहां मोहनजोदड़ो से भी पुरानी सभ्यता और संस्कृति वाले इलाके नर्मदा घाटी को डुबाने के पूरे सरकारी इंतजाम कर दिए गए हैं। यह वह इलाका है, जहां एशिया के पहले किसान ने खेती शुरू की।
लेखक चिन्मय मिश्र कहते हैं, नर्मदा घाटी वह इलाका है, जिसकी सभ्यता और संस्कृति बहुत पुरानी है। यहां मोहनजोदड़ो की सभ्यता से भी बेहतर सभ्य समाज (सिविलाइज्ड सोसायटी) के अवशेष मिलते हैं। इतना ही नहीं, यह वह इलाका है, जिसने बड़े बदलाव देखे हैं। यहां कभी चावल पैदा होता था, इसलिए यह इलाका शुतुरमुर्ग का क्षेत्र यानी रेगिस्तान में बदल गया और फिर उपजाऊ बन गया है।
मिश्र अपनी पुस्तक ‘प्रलय से टकराता समाज व संस्कृति’ में लिखते हैं कि यह वह इलाका है, जहां पहला मानव किसान हुआ। यहां की सभ्यता हजारों वर्ष पुरानी है।
बता दें कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 138 मीटर किए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव के 40 हजार से ज्यादा परिवार प्रभावित होने वाले हैं। हंसती-खिलखिलाती जिंदगी बदरंग होने की कगार पर है। हजारों पेड़ और उपजाऊ जमीन जलमग्न होने में ज्यादा दिन नहीं लगने वाले।
वैसे तो नर्मदा नदी को जीवनदायनी कहा जाता है, मगर एक बांध की ऊंचाई बढ़ जाने से इस क्षेत्र के लिए यह ‘जीवन लेने वाली नदी’ बन जाएगी।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर कहती हैं, मध्यप्रदेश, गुजरात और केंद्र की सरकार को न तो जीवित इंसान की चिंता है और न ही सभ्यता और संस्कृति की, तभी तो एक राज्य में चुनावी फायदे के लिए दूसरे राज्य को डुबाने में कोई तरस नहीं खा रहा है। वर्तमान में सरकारें उद्योगपतियों के लिए काम कर रही हैं। उनके लिए गरीब, किसान और आम इंसान की कोई कीमत नहीं है।
मेधा अन्य 11 लोगों के साथ बीते 10 दिन से उपवास पर हैं, उनकी हालत बिगड़ती जा रही है। डूब प्रभावित परिवारों के लिए संपूर्ण पुनर्वास के बाद ही विस्थापन हो, यह उनकी मांग है। उनकी हालत बिगड़ती देख सरकार में थोड़ी सुगबुगाहट हुई है। शनिवार को सरकार ने एक दल भेजा, मगर बात नहीं बनी। मेधा सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से संवाद करने के बाद ही उपवास खत्म करने की बात कह रही हैं।
नर्मदा घाटी की सभ्यता राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों तक फैली है। इसके लिए केंद्रीय पुरातत्व और राज्य पुरातत्व विभाग काम कर रहे हैं। कई चौंकाने वाले प्रमाण भी इस इलाके में मिल चुके हैं।
जानकारों का दावा है कि इस इलाके की सभ्यता मोहनजोदड़ो से भी पुरानी है, मगर शिवराज सरकार गुजरात के फायदे के लिए इसे डुबाने पर उतारू है, तो कोई क्या कर सकता है। दुखद यह है कि यहां की ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक काल के धरोहरों का भी सरकारों ने ध्यान नहीं रखा।
जानकारों का कहना है कि नर्मदा घाटी में मेधा पाटकर द्वारा अनिश्चितकालीन उपवास के लिए धार जिले के चिखल्दा गांव को भी चुने जाने की वजह है। यह वही गांव है, जहां एशिया का पहला किसान हुआ है। इस बात के प्रमाण भी मिले है। इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है और पांच सौ से ज्यादा मकान है। यहां का हर परिवार व व्यक्ति यहां से जाने को तैयार नहीं है, क्योंकि वे सरदार सरोवर परियोजना के खिलाफ दशकों से संघर्ष के हिस्सेदार रहे हैं।
सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ने से नर्मदा घाटी की सभ्यता और संस्कृति तो डूबने ही वाली है। इससे पहले कई स्मृतियों को जमींदोज किया जा चुका है, जिसमें बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट भी शामिल है। इस समाधि में महात्मा गांधी ही नहीं, कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव रहे महादेव देसाई की देह राख (एश) रखी हुई थी।
गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी यहां तीनों महान विभूतियों की देह राख जनवरी, 1965 में लाए थे और समाधि 12 फरवरी, 1965 को बनकर तैयार हुई थी। इस स्थल को राजघाट नाम दिया गया। त्रिवेदी ने इस स्थान को गांधीवादियों का तीर्थस्थल बनाने का सपना संजोया था। उस पर भी बुलडोजर चलाया जा चुका है।
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पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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