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सपा से नाराज नरेश अग्रवाल ने छोड़ी पार्टी, भाजपा में शामिल
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। नरेश अग्रवाल राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी से नाराज चल रहे थे। दरअसल, कुछ दिन पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी से सपा का राज्यसभा उम्मीदवार जया बच्चन को बनाने की घोषणा की थी। अग्रवाल को अखिलेश से इस बात की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी। इसी वजह से वह अखिलेश से नाराज चल रहे थे। सोमवार को उन्होंने कमल थाम लिया।नरेश अग्रवाल ने दिल्ली स्थित बीजेपी दफ्तर में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
जया बच्चन को टिकट दिए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्मों में डांस और रोल करने करने वाली से उनकी तुलना कर दी गई। बसपा से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के जरिए एक क्षेत्रीय पार्टी की हैसियत से भी खुद को हटा दिया है। जबकि 2012 में समाजवादी पार्टी पूरी तरह से सरकार में आई थी। वहीं नरेश अग्रवाल ने मुलायम सिंह और राम गोपाल यादव का साथ न छोड़ने की बात कही।
बता दें कि नरेश अग्रवाल का राजनीतिक कार्यक्षेत्र हरदोई है। 1989 तक नरेश अग्रवाल कांग्रेस में रहे। इसके बाद उन्होंने 1997 में अखिल भारतीय लोकतांत्रिक पार्टी ज्वाइन की। बाद में उन्होंने बसपा भी ज्वाइन की। वह हरदोई से 7 बार विधायक रह चुके हैं। लंबे समय तक वह समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े रहे।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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