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सपा में चली उठा-पटक, बसपा को कटु अनुभव (सिंहावलोकन-2016) विद्या शंकर राय

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उत्तर प्रदेश, राजनीतिक सेंसेक्स, बसपा, सपा, राजनीतिक कुश्ती, विधानसभा चुनाव, नोटबंदी

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उत्तर प्रदेश, राजनीतिक सेंसेक्स, बसपा, सपा, राजनीतिक कुश्ती, विधानसभा चुनाव, नोटबंदी

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में इस साल राजनीतिक सेंसेक्स में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। आसन्न विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए साल 2016 कटु अनुभव वाला रहा।

कई विश्वासपात्रों ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को झटका दिया, वहीं सपा में चाचा-भतीजे की राजनीतिक कुश्ती में कई दिग्गज चित-पट हुए। फिर भी, तमाम उठा-पटक के बीच ये दोनों पार्टियां अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जोरशोर से जुट गई हैं।

इस साल बसपा ने जहां अपने कई कद्दावर नेताओं को पार्टी छोड़ते देखा, वहीं नोटबंदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सीधे निशाना साधने के लिए एक ब्रह्मास्त्र दे दिया। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को भी बसपा ने लगातार अपने निशाने पर रखा। भाजपा से निकाले गए नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विवादास्पद टिप्पणी से भी बसपा काफी चर्चित रही।

पार्टी को विश्वास है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ता में उसकी वापसी होगी। पार्टी की मुखिया मायावती का मानना है कि इस बार अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान उनके साथ रहेंगे।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने कहा कि बसपा पूरे जोश के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेगी। पार्टी को छोड़कर जाने वाले लोग स्वार्थी थे। ऐसे लोगों के जाने से पार्टी के अभियान पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी कर जिस तरह आम जनता को मुश्किल में डाल दिया है, जनता उसका हिसाब विधानसभा चुनाव में जरूर लेगी। छोटे मजदूर, किसान और मध्यम वर्ग के व्यापारी काफी परेशान हैं। नोटबंदी ने पूरे देश की जनता को कतारों में खड़े रहने को मजबूर कर दिया है।

बसपा को इस वर्ष अलविदा कहने वाले कद्दावर नेताओं में शामिल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सांसद ब्रजेश पाठक व पूर्व मंत्री आरके चौधरी ने ऐन वक्त पर पार्टी छोड़ दी। मौर्य और पाठक भाजपा में शामिल हो गए हैं।

अक्सर धन लेकर टिकट देने के आरोपों का सामना करने वाली मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसके पास गलत तरीके से अर्जित धन नहीं है। उन्होंने माना कि टिकट चाहने वाले आर्थिक सहयोग करते हैं और इस राशि का उपयोग पार्टी संगठन को मजबूत करने और चुनाव लड़ने में किया जाता है।

नोटबंदी पर मायावती के तेवर काफी कड़े हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर देश में अघोषित आर्थिक इमरजेंसी लगाने का आरोप लगाया। मायावती ने कहा कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले गरीबों के बारे में नहीं सोचा गया। पूंजीपतियों को बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया गया। बसपा का मानना है कि नोटबंदी का यह फैसला भाजपा के लिए विनाशकारी साबित होगा।

साल भर मायावती के निशाने पर एक ओर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार रही, तो दूसरी ओर उन्होंने प्रदेश की सपा सरकार पर भी जमकर हमला बोला। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को विफल बताते हुए उन्होंने कहा कि सपा सरकार की नीतियां ढुलमुल हैं और भाजपा से उसकी मिलीभगत है।

मुसलमानों को अगले विधानसभा चुनाव में बसपा की ओर आकर्षित करने की कवायद में मायावती ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के सर्वसमाज विशेषकर मुसलमानों को यह समझना बहुत जरूरी है कि सपा में उनके हित सुरक्षित नहीं हैं।

मायावती एक ओर मुसलमानों से खुलकर वोट मांग रही हैं तो उन्हीं की पार्टी के महासचिव सतीश मिश्र भाईचारा सम्मेलनों के जरिए समाज के अन्य तबकों, खासकर ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद में जुटे हैं।

 

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मध्य प्रदेश: विधायक हजारीलाल दांगी के पोते ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, LLB की कर रहा था पढ़ाई

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इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में खिलचीपुर से भाजपा विधायक हजारीलाल दांगी के पोते विजय दांगी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। पुलिस को उसके पास से दो पेज का सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट के अनुसार उसका अपने दोस्त से विवाद चल रहा था, जिसके चलते उसने ये कदम उठाया है।

मृतक का नाम विजय बताया जा रहा है। सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि ‘मैं अपनी मर्जी से मर रहा हूं घरवालों को परेशान ना करें’, मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है। पुलिस के मुताबिक मृतक विजय की उम्र 19 साल बताई जा रही है।

मृतक विजय इंदौर के गांधी नगर थाना क्षेत्र में रहकर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। सुसाइड के पीछे दोस्ती का कारण सामने आ रहा है। पुलिस के मुताबिक शव को सोमवार रात को ही पीएम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। पोस्टमार्टम के बाद विजय का शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। यहां विधायक के रिश्तेदार भी पहुंच चुके हैं। विजय के परिवार जनों का रो रो कर बुरा हाल है, उन्हे समझ ही नहीं आ रहा उसने ऐसा कदम क्यों उठाया। विजय ने अपने सुसाइड नोट में घर वालों से माफी मांगी है। विजय का एक बड़ा भाई और है जो एमबीए की पढ़ाई कर रहा है।

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