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संविधान पर सहमति बनाएं नेपाली नेता : जयशंकर

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काठमांडू| भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने शुक्रवार को अपनी दो दिवसीय नेपाल यात्रा का समापन किया। हिमालय की गोद में बसे देश के नेताओं को उन्होंने नई दिल्ली के आम राजनीतिक संदेश से अवगत कराया कि आप अपना नया संविधान व्यापक सहमति और समझौतों के आधार पर तैयार करें।  जयशंकर ने राष्ट्रपति रामबरन यादव, प्रधानमंत्री सुशील कोईराला, संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमबांग, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. ओली, नेपाल की एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (यूसीपीएन-एम) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल और मधेश आधारित पार्टियों के एक गठबंधन के नेताओं के साथ मुलाकात की।

ये मुलाकातें हालांकि अलग-अलग हुईं, लेकिन भारत के विदेश सचिव ने नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व को नई दिल्ली के महत्वपूर्ण संदेशों से अवगत कराया कि संविधान लिखने की प्रक्रिया में वे व्यापक सहमति हासिल करें और संघवाद नेपाल का आंतरिक मामला है और भारत को इस बारे में कुछ नहीं कहना है।

अपनी दक्षेस यात्रा के क्रम में दो दिनों के दौरे पर नेपाल पहुंचे जयशंकर ने शुक्रवार को अपनी यात्रा पूरी की और वह नई दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए।

जयशंकर का दक्षेस के सदस्य देशों की यात्रा का यह दूसरा चरण है। उन्होंने एक मार्च को भूटान की, तीन मार्च को पाकिस्तान की और चार मार्च को अफगानिस्तान की यात्रा की।

विदा होने से पहले अपने बयान में जयशंकर ने कहा, “मैंने उन्हें संदेश दिया कि नेपाल की जनता के साथ लोकतांत्रिक, स्थायी, शांतिपूर्ण और समृद्ध नेपाल के लिए भारत काम करने के प्रति बचनबद्ध है।” उन्होंने आगे कहा कि नेपाल के साथ भारत के संबंध उच्च प्राथमिकता पर जारी रहेंगे।

वरिष्ठ राजनेताओं के साथ गुरुवार और शुक्रवार को अलग-अलग मुलाकातों में जयशंकर ने संविधान लेखन प्रक्रिया में सहमति के महत्व पर प्रकाश डाला और नेताओं से आग्रह किया कि नए संविधान को यथासंभव जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, जयशंकर के साथ मुलाकात के दौरान कोईराला ने भारत द्वारा विदेशी नीति में पड़ोसी पहले नीति अपनाने की सराहना की और दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए हाल में किए गए प्रयासों का स्वागत किया।

कोईराला ने भारतीय राजनयिक को आश्वासन भी दिया कि नेपाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के प्रयास के पक्ष में मतदान करेगा।

माओवादी नेता नारायण काजी श्रेष्ठ के मुताबिक, जयशंकर ने पार्टी नेताओं से कहा कि भारत, नेपाल में संविधान के शीघ्र लागू होने की कामना करता है।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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