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शिवपाल यादव ने जसवंत नगर से भरा पर्चा, बनाएंगे नई पार्टी

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shivpalलखनऊ/इटावा। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर चुनावी माहौल भी घमासान देखने को मिल रहा है। सपा के दिग्गज नेता शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को इटावा जिले की जसवंत नगर सीट से अपना पर्चा दाखिल किया। इसके बाद उन्होंने बगावती रुख दिखाते हुए कहा कि वह 11 मार्च के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे। जसवंतनगर सीट से नामांकन के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिवपाल ने साफ तौर पर कहा कि उनके साथ भितरघात किया गया है और मुलायम सिंह यादव सहित उनके लोगों को लगातार अपमानित किया जा रहा है।

भाषण के दौरान उनके निशाने पर अप्रत्यक्ष तौर पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व महासचिव प्रो़ रामगोपाल यादव रहे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर शिवपाल ने कहा, “सपा का चुनाव चिह्न् उनकी कृपा से मिला है। हालांकि वे निर्दलीय लडऩे को भी तैयार थे। 15 दिन पूर्व चुनाव लडऩे का मेरा मन नहीं था, लेकिन जनता की ताकत मिलने पर मैं मैदान में आ गया हूं।”

शिवपाल ने कहा, “कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 105 सीटें दे दी गईं जबकि कांग्रेस की हैसियत केवल चार सीटों की थी। हमारे जिताऊ उम्मीदवारों की सीटें काटकर कांग्रेस की झोली में डाल दीं।”

उन्होंने कहा, “मरते दम तक मुलायम सिंह यादव के साथ रहूंगा और हमारे जो उम्मीदवार उनके आशीर्वाद से दूसरे दलों से चुनाव लड़ रहे हैं, उनका प्रचार करूंगा।” शिवपाल ने कहा, “हमारे पास जो विभाग थे, वे अच्छे चले। हमने काफी काम किया, लेकिन हमारी फाइलें जानबूझकर रोकी जाती रहीं, फिर भी हमने काम किए। बाधाओं के बावजूद विभाग चलाए। बहुत से लोगों को नौकरी नहीं दे पाए, इसका मुझे मलाल है।”

उन्होंने कहा, “हम बर्खास्त भी हुए। कोई गलत काम न हो, इसी का हमने विरोध किया और नेता जी ने हमारा समर्थन किया तो हम दोनों लोगों पर हमला बोला गया।” शिवपाल ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा था कि सबकुछ ले लो, मगर नेताजी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहने दो। हमारे लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं और जेलों में हैं। बहुत से ऐसे मंत्री हैं जो सिर्फ फोटो खिंचवाते हैं, मगर वो नहीं हटाए गए। जो काम कर रहे थे, उन्हें हटा दिया गया।”

उन्होंने कहा, “हमारी लिस्ट का कहीं विरोध नहीं था। पक्के समाजवादियों का टिकट केवल इसलिए काटा गया कि शिवपाल सिंह यादव कैसे कमजोर हों। हम स्टार प्रचारक नहीं हैं, अच्छा है। हम इसी का प्रचार करेंगे। मैं नेताजी के निर्देश पर चुनाव लड़ रहा हूं।” शिवपाल ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव पर भी बगैर नाम लिए हमला बोला और कहा, “जो लोग कब्जा कर रहे थे, अवैध शराब बिकवा रहे थे, यह कौन नहीं जानता। इसी का विरोध करने का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा।”

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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