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विपक्ष ने झारखंड में ‘फर्जी’ मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग की

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रांची, 16 जून (आईएएनएस)| झारखंड में विपक्षी पार्टियों ने गिरिडीह में इस महीने की शुरुआत में पुलिस तथा नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ को ‘फर्जी’ करार दिया है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। मुठभेड़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। गिरिडीह जिले के पीरटांड जंगल में नौ जून को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में लाल बासके नामक ग्रामीण की मौत हो गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि ‘मुठभेड़ फर्जी थी।’ सोरेन ने बासके के परिजनों से मुलाकात की।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, झारखंड सरकार जंगलों में रहने वाले जनजाति समुदाय के निर्दोष लोगों को नक्सली करार देकर उनकी हत्या कर रही है। हम मुठभेड़ की न्यायिक जांच या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करते हैं। पीड़ित के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए।

पुलिस ने मारे गए ग्रामीण को खूंखार नक्सली करार दिया है।

बासके की मौत के बाद उसके परिजनों तथा ग्रामीणों ने फर्जी मुठभेड़ का मुद्दा उठाया।

यहां तक कि प्रतिबंध नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने भी अपने बयान में बासके को अपने समूह का सदस्य नहीं बताया।

वह पारसनाथ की पहाड़ियों में चाय की दुकान चलाता था। उसके परिजनों के मुताबिक, घटना वाले दिन बासके जंगल से लकड़ी लाने गया था।

कांग्रेस पार्टी ने ‘निर्दोष’ ग्रामीण की हत्या को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।

झारखंड कांग्रेस के महासचिव आलोक दूबे ने आईएएनएस से कहा, झारखंड का गठन इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए किया गया था, खासकर जनजाति समुदाय के लोगों के लिए। अब जनजाति समुदाय के निर्दोष लोगों को नक्सल विरोधी अभियान के नाम पर मारा जा रहा है। हम मामले की उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से जांच की मांग करते हैं।

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नेशनल

सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस, अदालत की सुनवाई वाली प्रक्रिया का वीडियो बनाकर किया था सार्वजनिक

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ये नोटिस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने पर भेजा है।

सुनीता केजरीवाल और 5 अन्य लोगों के खिलाफ जनहित याचिका दायर करके आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने कोर्ट की सुनवाई वाली प्रक्रिया का वीडियो बनाकर सार्वजनिक किया, जो अपराध है। कोर्ट ने सुनीता केजरीवाल को जो नोटिस भेजा है, उसमें अदालती कार्यवाही का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया गया है। अगर वे ऐसा नहीं करती तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वीडियो गत 28 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के दौरान रिकॉर्ड किया गया था।

याचिका अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर की गई, जिन्होंने कई सोशल मीडिया हैंडल का नाम भी लिया। सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि केजरीवाल द्वारा 28 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाई और उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया।

28 मार्च को केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कोर्ट में पेश किया गया था। केजरीवाल ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट को संबोधित किया और कहा कि ईडी भाजपा के लिए जबरन वसूली का रैकेट चला रहा है। सिंह के अनुसार सुनवाई खत्म होने के तुरंत बाद कई सोशल मीडिया हैंडल ने कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को पोस्ट, रीपोस्ट, फॉरवर्ड, शेयर, रीशेयर करना शुरू कर दिया।

सुनीता केजरीवाल ने अक्षय नाम के एक एक्स (ट्विटर) अकाउंट द्वारा अपलोड की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग को रीपोस्ट किया। सिंह ने तर्क दिया कि कोर्ट के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय नियम 2021 के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है और इन वीडियो को वायरल करना न्यायपालिका और न्यायाधीशों की छवि को खराब करने का एक प्रयास है।

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