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लोकसभा में नोटबंदी पर बहस के लिए स्थगन प्रस्ताव नामंजूर

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लोकसभा में नोटबंदी पर बहस के लिए स्थगन प्रस्ताव नामंजूर

नई दिल्ली | लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को विपक्षी पार्टियों के भारी हंगामे के बीच नोटबंदी पर बहस के लिए विपक्षी पार्टियों के स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। सदन को अपराह्न् करीब 12.30 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।

सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे जब फिर से शुरू हुई तो महाजन ने विपक्षी और सत्तारूढ़ पार्टियों के सदस्यों को नोटबंदी के मुद्दे पर बहस के बारे में बोलने को कहा।

अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव के तहत बहस की मांग की। हालांकि बीजू जनता दल (बीजद) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने कहा कि उन्होंने स्थगन नोटिस नहीं दिए हैं।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष बहस के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री बाहर कहते हैं कि कुछ लोग काले धन का समर्थन कर रहे हैं..वे यहां चर्चा करना नहीं चाहते।”

तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के नहीं होते, वे सभी के लिए होते हैं और उन्हें विपक्ष की बात सुननी चाहिए।

उन्होंने कहा, “करीब 300 सांसदों ने गांधी की प्रतिमा के पास धरना-प्रदर्शन किया। सरकार का यहां बहुमत है, अगर वोटिंग होगी, तो भी वह जीत जाएंगे।”

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता पी. करुणाकरण ने शिवसेना का नाम लेते हुए कहा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की भी कुछ पार्टियां नोटबंदी के खिलाफ हैं।

शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल ने इस पर कहा कि वे नोटबंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पार्टी ने प्रधानमंत्री के समक्ष लोगों को हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया है कि यह परेशानी दूर होगी।”

बीजद नेता भरतृहरि महताब और टीआरएस नेता ए.पी. जीतेंद्र रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टियों ने स्थगन नोटिस नहीं दिया, लेकिन वे भी बहस चाहते हैं।

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि देश नोटबंदी के फैसले के साथ है।

उन्होंने कहा, “चर्चा होने दीजिए..लोग चाहते हैं कि सदन में काम हो और इस मुद्दे पर चर्चा हो। पूरा देश प्रधानमंत्री के इस फैसले के साथ है।”

 

सदस्यों का पक्ष सुनने के बाद हालांकि अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया, जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने जमकर शोर-शराबा किया।

 

उसके बाद शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही थोड़ी देर और चली, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों के हंगामे को देखते हुए अध्यक्ष ने सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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