Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मनोरंजन

लफ़्ज़ों की रूह में उतर जाते थे जगजीत सिंह

Published

on

जगजीत-सिंह,अल्फाज,मखमली-आवाज,झुकी-झुकी-सी-नजर,होश-वालों-को-खबर-क्या,तुम-इतना-जो-मुस्कुरा-रहे-हो,बादशाह,गायिका-चित्रा,एलबम,गजलकार

Loading

नई दिल्ली | जगजीत सिंह (70) को बयां करने के लिए दो अल्फाज काफी हैं और वो अल्फाज है, खुद उनका नाम। मखमली आवाज से रूह में उतरने का हुनर रखने वाले जगजीत को ‘होठों से छू लो तुम’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होश वालों को खबर क्या’, ‘चिट्ठी न कोई संदेश’, ‘ये दौलत भी ले लो’ व ऐसे ही अनगिनत गजलों-नज्मों को अमर बनाने का श्रेय जाता है। अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं को एक अजीब सा सुकून देने वाले जगजीत सिंह का जन्म आठ फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले के दल्ला गांव का रहने वाला था।
जगजीत की शुरुआती शिक्षा गंगानगर में हुई और बाद में जालंधर में पढ़ाई की। पिता सरदार अमर सिंह धमानी सरकारी कर्मचारी थे। जगजीत सिंह को संगीत पिता से विरासत में मिला। वह 1965 में मुंबई आ गए। 1967 में उनकी मुलाकात गजल गायिका चित्रा से हुई। इसके दो साल बाद 1969 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए।  जगजीत-चित्रा ने साथ में कई गजलें गाईं। दोनों संगीत कार्यक्रमों में अपनी जुगलबंदी से समां बांध देते। उन्हें बेटा विवेक था, जिसकी वर्ष 1990 में एक कार हादसे में मौत हो गई। उस समय उसकी उम्र 18 साल थी। इकलौते बेटे की असमय मौत ने चित्रा को पूरी तरह तोड़ दिया और उन्होंने गायकी से दूरी बना ली।

 

गजल के बेताज बादशाह जगजीत को करीब से जानने वालों का मानना है कि उनकी गजलों में महसूस होने वाली तड़प व दुख उनकी इसी अति निजी क्षति की वजह से था। जगजीत को दुनिया में गजल को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। उनकी पहली एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ (1976) हिट रही। उन्होंने गजलों को जब फिल्मी गानों की तरह गाना शुरू किया, तो आम आदमी ने गजल में दिलचस्पी दिखानी शुरू की। उन्होंने ‘झुकी झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं’, ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’, ‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है’, ‘होश वालों को खबर क्या’, ‘कोई फरियाद’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘ये दौलत भी ले लो’, ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’ जैसी फिल्मी गजलें पेश कीं। वहीं गैरफिल्मी फेहरिस्त में ‘कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा’, ‘सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता’, ‘वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी’ जैसी मशहूर गजलें शुमार हैं।

 

जगजीत सिंह ने 150 से ज्यादा एलबम बनाईं। फिल्मों में गाने भी गाए, लेकिन गजल व नज्म के लिए उन्हें विशेष रूप से लोकप्रियता प्राप्त है। 10 अक्टूबर, 2011 को गजल सम्राट सदा के लिए खामोश हो गए। उन्होंने अंतिम सांस मुंबई के लीलावती अस्तपाल में ली। उनके आकस्मिक निधन पर पाश्र्व गायिका आशा भोसले ने शोक जताते हुए कहा था कि उनकी आवाज सुनकर हर कोई दीवाना हो जाता था। वह हिंदुस्तान का गर्व थे। अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा था कि उनकी आवाज में इतनी सच्चाई व मिठास इसलिए भी थी, क्योंकि वह बहुत अच्छे इंसान थे। बॉलीवुड के ‘शोमैन’ सुभाष घई ने कहा था कि जगजीत का जाना, मेरा बहुत बड़ा नुकसान है। चित्रा सिंह ने अपने गजलकार पति के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए कहा था कि मेरे ख्याल से वह भारत रत्न के हकदार हैं। इससे कम के नहीं। देश को उनका ऋण जरूर चुकाना चाहिए। आज भले जगजीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज व उसकी भीनी-भीनी खुशबू हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी।

प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

Published

on

Loading

मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

Continue Reading

Trending