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मुख्य समाचार

सीएम अखिलेश से मिला अखलाक का परिवार, न्याय का भरोसा दिलाया

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को मोहम्मद अखलाक के परिवार से मुलाकात की और उन्हें सरकार की ओर से न्याय का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार दोषियों को सजा दिलाने का हर संभव प्रयास करेगी। दूसरी ओर अखलाक की मौत के बाद से बिसाहड़ा गांव में नेताओं के आने जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा लेकिन सीएम अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिलने के लिए दादरी नहीं आए। उनके दादरी न आने के पीछे नोएडा से जुड़े एक अपशगुन को कारण माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि ग्रेटर नोएडा के दादरी कस्बे के बिसरा गांव में सोमवार रात 50 साल के मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना सिर्फ इस अफवाह के कारण घटी कि अखलाक ने गोहत्या की थी। अखिलेश ने पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से हर तरह की मदद का वादा भी किया।

मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि वह पीड़ित परिवार के दुख में भागीदार हैं और वह दोषियों को सजा दिलाने का हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा, “परिवार से जो छीन लिया गया है, हम उसे तो वापस नहीं दे सकते, लेकिन मैं उन्हें आश्वासन देता हूं कि इस दुख की घड़ी में और भविष्य में भी सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी।” अखिलेश ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को एक घर भी देगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या पीड़ित परिवार के किसी सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी, मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई अनुरोध आता है तो इसपर विचार किया जाएगा। अखलाक द्वारा गोमांस खाने की अफवाह के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा, “पता नहीं किसने यह जहर घोला है?” इससे पहले सरकार ने अखलाक के परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी। जिसे शनिवार को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई।

मुख्यमंत्री अखिलेश और अखलाक के परिवार के बीच हुई मुलाकात के दौरान उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान भी उपस्थित थे।

अखलाक के बड़े भाई, अफजल ने मीडिया से कहा कि उनके परिवार को न्याय चाहिए। पीड़ित परिवार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से भी मुलाकात कर सकता है।

इस मुलाकात को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि सीएम अखिलेश यादव एक अंधविश्वास के कारण पीड़ित परिवार से मिलने के लिए दादरी नहीं आए। नोएडा के साथ एक अंधविश्वाकस जुड़ा है कि जो भी सीएम अपने कार्यकाल में नोएडा आता है वह अगला चुनाव हार जाता है। अटकलें हैं कि अगला चुनाव हारने के डर के कारण ही अखिलेश यादव अखलाक के परिवार से मिलने के लिए बिसाहड़ा नहीं आए। अखिलेश से पूर्व के सीएम भी नोएडा आने से बचते रहे हैं।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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