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प्रादेशिक

लक्ष्मीबाई की धरती पर ‘आधी आबादी’ असुरक्षित

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बांदा| वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की धरती बुंदेलखंड में महिलाओं की आबरू सुरक्षित नहीं रही है। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए अब तक बनाए गए तमाम कड़े कानून भी ‘आधी आबादी’ की हिफाजत करने में नाकाम हैं।

पिछले तीन साल में घटित घटनाओं पर गौर करें तो बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट जिले की 283 महिलाओं को हवश का शिकार बनाया गया, 350 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई और पुलिस ने 93 महिलाओं के अज्ञात शव बरामद किए। यह जानकारी पुलिस विभाग ने आरटीआई के तहत दी है।

केंद्र व राज्य सरकार ने महिला वर्ग को हिंसा से निजात दिलाने के लिए तमाम कड़े कानून बनाए हैं, लेकिन प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में फिरंगियों के छक्के छुड़ाने वाली झांसी की रानी की धरती बुंदेलखंड में ‘आधी आबादी’ की आबरू सुरक्षित नहीं है, यह एक बड़ी विडंबना है।

एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से जुड़े कार्यकर्ता को जनसूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत हाल ही में पुलिस विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी से इसका खुलासा हुआ है।

इसमें बताया गया है कि पिछले तीन साल (वर्ष-2012, 13 व 14) में बांदा जिले में 97, हमीरपुर में 84, महोबा में 54 और धर्मनगरी चित्रकूट जिले में 63 महिलाएं दुष्कर्म की शिकार हुईं, साथ ही 350 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई।

इतना ही नहीं, इन तीन सालों में बांदा में 20, हमीरपुर में 19, महोबा में 29 और चित्रकूट में 16 अज्ञात महिलाओं की हत्या कर फेंके गए शव पुलिस ने बरामद किए। इन अज्ञात शवों में से पुलिस अब तक 19 शवों की शिनाख्त नहीं कर सकी। यह वे आंकड़े हैं, जो पुलिस दस्तावेजों में दर्ज हैं। तमाम दुष्कर्म और छेड़छाड़ की ऐसी भी घटनाएं घटित हुई हैं, जिनको पुलिस ने इज्जत की दुहाई देकर दर्ज ही नहीं किया।

वीर भूमि बुंदेलखंड में ‘आधी आबादी’ के साथ घटी ये घटनाएं शर्मसार कर देने वाली हैं, लेकिन मामला दर्ज न हो पाने के कारण इनका कहीं जिक्र तक नहीं हुआ।

वामपंथी विचारक एवं अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान का कहना है कि महिला हिंसा रोकने के लिए भले ही कड़े कानून बने, महिला हेल्पलाइन चालू हुई और फास्ट ट्रैक कोर्ट का आदेश हुआ, पर अभी पुलिस की भूमिका गंभीर नहीं है।

वह कहते हैं, “अदालत सबूत के आधार पर फैसला सुनाती है, मामले का फास्ट ट्रैक कोर्ट से त्वरित निस्तारण तो हो जाएगा, परंतु न्याय मिलने की गारंटी नहीं है।”

पंजीकृत संस्था ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ की राष्ट्रज्ीय कमांडर आशा निगम कहती हैं कि महिला हिंसा रोकने के लिए कानून से कहीं ज्यादा पुरुष वर्ग को मानसिकता बदलने की जरूरत है और पुलिस विभाग को अपनी कार्य प्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता है।

चित्रकूटधाम बांदा के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) बी.आर. मीणा कहते हैं कि महिला हिंसा रोकने में समाज का अहम योगदान होता है। समाज जागरूक तो हुआ है, पर दहेज जैसी बुराइयों को छोड़ नहीं पा रहा है।

वह कहते हैं कि महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा रोकने में पुलिस इमानदारी से काम कर रही है, मामलों में लापरवाही बरतने पर थानाध्यक्षों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाती है।

उधर, पुलिस अधीक्षक बांदा पीयूष श्रीवास्तव का कहना है, “महिला अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अभियान चला रही है, किसी भी थाने में पीड़ित महिला की शिकायत का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण किया जाता है।”

पुलिस के आला अधिकारी भले ही डींग हांक रहे हों, लेकिन महिला हिंसा से जुड़े जो तथ्य उजागर हुए हैं, उनसे समाज और पुलिस दोनों की छवि धूमिल हुई है।

उत्तर प्रदेश

मोहिनी दुबे हत्याकांड: IAS के ड्राइवर ने भाई और साथी के साथ मिलकर दिया था वारदात को अंजाम, मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके में रिटायर्ड आईएएस देवेंद्र नाथ दुबे की पत्नी की हत्या के आरोपी तीनों बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसी के साथ पुलिस ने उनके पास से लूटा गया जेवर और नगदी भी बरामद कर ली है। इस पूरी वारदात को देवेंद्र नाथ के ड्राइवर अखिलेश, उसके भाई रवि और एक साथी रंजीत ने अंजाम दिया था।

मंगलवार को पुलिस मोहिनी दुबे हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ने गई थी। तभी आरोपियों ने पुलिस के ऊपर फायरिंग कर दी।
जवाबी फायरिंग में एक बदमाश के पैर में गोली लगी है। लखनऊ की इंदिरा नगर क्राइम ब्रांच और पुलिस टीम मुठभेड़ में शामिल हुई थी। तीनों आरोपियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। मुठभेड़ के दौरान बड़ी संख्या में पुलिसबल और सादी वर्दी में पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद रहे। वारदात को रवि व रंजीत ने अंजाम दिया था जबकि अखिलेश देवेंद्रनाथ दुबे को लेकर वापस लौटा था। पुलिस टीम अब से कुछ ही देर में प्रेस कांफ्रेंस कर मामले का खुलासा करेगी। हत्यारे वारदात के बाद दोनों नीले रंग की स्कूटी से भागते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए थे।

बता दें कि इंदिरानगर सेक्टर 20 में शनिवार सुबह सेवानिवृत आईएएस देवेंद्र दुबे के घर में घुसकर बदमाशों ने उनकी पत्नी मोहिनी की हत्या कर दी थी। इसके बाद अलमारी में रखे जेवरात और नकदी लूट ले गए थे। मामले में पुलिस को पहले भी ड्राइवरों पर ही शक था। कई पुख्ता सुबूत इस ओर इशारा कर रहे थे। दोनों चालकों रवि और अखिलेश से सोमवार को पुलिस ने लंबी पूछताछ की थी। दोनों के अलावा और भी कई लोगों से पुलिस ने पूछताछ की थी। सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि बदमाश नीले रंग की स्कूटी से आए थे और उसी से भागे थे। हत्यारों ने अपने परिचित की स्कूटी का इस्तेमाल किया। नंबर प्लेट निकाल दी थी। स्कूटी पुलिस ने बरामद कर ली थी। वहीं, सीसीटीवी से हत्यारों की पहचान भी हो गई थी।

 

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