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अन्तर्राष्ट्रीय

रूसी फ्रीजर पोत डूबा, 54 की मौत

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मास्को। रूस के एक मछली पकड़ने वाले फ्रीजर पोत के समुद्र में डूबने से कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई। पोत में चालक दल के 132 सदस्य सवार थे।

रूस के कमचटका प्रायद्वीप में मछली पकड़ने वाली फ्रीजर नौका के डूब जाने से 54 लोगों की मौत हो गई। मैगलान एलएलसी की नौका डैलनी वोस्तोक ओखोत्स्क सागर में कमचटका क्षेत्र के क्रुतोगोरोव्स्की कस्बे से 330 किलोमीटर पश्चिम एवं मगाडन शहर से 250 किलोमीटर दक्षिण में डूब गई। नौका डूबने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।

रूसी संवाद समिति तास ने कहा कि 54 पीड़ितों के शवों को बरामद कर लिया गया है। चालक दल के 63 सदस्यों को ही जिंदा बचाया जा सका। 15 नाविक अभी लापता हैं और 26 नौकाओं को उनकी तलाश में लगाया गया है। दुर्घटनाग्रस्त नौका में 78 रूसी नागरिक और 54 विदेशी सवार थे, जिनमें म्यांमार, यूक्रेन, लिथुआनिया और वानातू के नागरिक शामिल थे।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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