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राष्ट्रपति प्रणब की पत्नी शुभ्रा का निधन

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी का मंगलवार को निधन हो गया। उन्हें करीब दो सप्ताह पहले दिल का दौरा पड़ने के बाद यहां सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुभ्रा के निधन की घोषणा राष्ट्रपति भवन की ओर से की गई।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुभ्रा (74) जमीन से जुड़ी होने और एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए याद की जाएंगी। देश की प्रथम महिला को दो सप्ताह पहले यहां सैन्य अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। पत्नी की बीमारी की खबर मिलने के बाद राष्ट्रपति उस समय ओडिशा का अपना दो दिवसीय दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौट आए थे। शुभ्रा दिल की मरीज थीं।

अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) संजय कुमार ने बताया, “शुभ्रा मुखर्जी का हृदयाघात के बाद निधन हो गया। वह अंतिम सांस तक वेंटीलेटर पर थीं।” शुभ्रा का जन्म 17 सितंबर, 1940 को नरैल (अब बांग्लादेश में) में हुआ था, जहां उनके रिश्तेदार अब भी रहते हैं। वह 13 जुलाई, 1957 को प्रणब मुखर्जी संग परिणय सूत्र में बंधी थीं। मार्च 2013 में बांग्लादेश दौरे के दौरान प्रणब पहली बार अपने ‘ससुर बाड़ी’ (ससुराल) गए थे। वहां जोड़े का पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया था।

मुखर्जी दंपति को दो पुत्र और एक पुत्री क्रमश: अभिजीत मुखर्जी, इंद्रजीत मुखर्जी और शर्मिष्ठा मुखर्जी हैं। अभिजीत जांगीपुर (पश्चिम बंगाल) से कांग्रेस के लोकसभा सांसद हैं, जबकि बेटी शर्मिष्ठा एक नामचीन नृत्यांगना हैं और कांग्रेस पार्टी की सदस्य हैं। प्रणब के राष्ट्रपति बनने के बाद जुलाई 2012 में समाचारपत्र ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए एक साक्षात्कार में शुभ्रा ने कहा था कि उनकी अपने पति से कभी लड़ाई नहीं हुई।

उन्होंने कहा था, “हम आजकल के पति-पत्नी की तरह नहीं हैं..मेरे लिए उनका प्यार थोड़ा अलग तरह का है। वह स्नान के बाद रोज मेरे पास आते हैं और मेरा माथा छूते हैं और कुछ मंत्रों का उच्चारण करते हैं। वह साल में हर दिन ऐसा करते हैं। वह अपने प्रेम का इजहार इसी तरह करते हैं। हमारी शादी को 55 साल हो गए हैं और हमारी एक दिन भी लड़ाई नहीं हुई।” शुभ्रा ने स्नातक तक की पढ़ाई की थी और वह कवि रबींद्रनाथ टैगोर की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। वह रबींद्र संगीत की गायिका थीं और उन्होंने न केवल भारत बल्कि यूरोप, एशिया और अफ्रीका में कई वर्षो तक रबींद्रनाथ टैगोर के नृत्य-नाटिकाओं में प्रस्तुतियां दी।

शुभ्रा ने ‘गीतांजलि ट्रप’ की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य टैगोर के दर्शनशास्त्र का प्रसार है। वह एक प्रतिभाशाली चित्रकार भी थीं। शुभ्रा ने दो किताबें -‘चोखेर आलोय’ और ‘चेना अचेनाई चीन’- लिखी थी।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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