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मुख्य समाचार

राष्ट्रपति ने लगाई जीएसटी पर मुहर

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Indian Foreign Minister Pranab Mukherjeeनई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को मंजूरी दे दी।

राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रपति ने जीएसटी विधेयक के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। इसी के साथ जीएसटी बिल अब कानून बन गया है। संसद से पास होने के बाद जीएसटी पर 16 राज्यों की विधानसभाओं की सहमति जरूरी थी। इन राज्यों से मंजूरी मिलने के बाद जीएसटी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा था।

राष्ट्रपति से मुहर लगने के बाद अब जीएसटी काउंसिल बनने का रास्ता साफ हो गया है। जीएसटी पर बनी काउंसिल तय करेगी कि इसकी दर कितनी हो। जीएसटी पर बनी काउंसिल के मुखिया वित्त मंत्री अरुण जेटली होंगे।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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