Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

हेल्थ

‘योग में पश्चिम का मुकाबला करने में भारत को समय लगेगा’

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)| भारत में 2010 में पॉवर योग की लोकप्रियता को इस क्षेत्र में एक क्रांति के रूप में देखा गया। योग विशेषज्ञ अक्षर का मानना है कि योग में बदलाव समय की मांग है, लेकिन इसके चक्कर में योग के स्वरूप से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं। वह कहते हैं कि भारत पश्चिमी देशों की तुलना में योग में अभी बहुत पीछे है, और इसमें अग्रणी बनने के लिए भारत को अभी समय लगेगा।

भारत को योग हब कहे जाने से अक्षर फाउंडेशन के संस्थापक अक्षर इत्तेफाक नहीं रखते। वह कहते हैं कि यह एक भ्रम है कि भारत योग में अग्रणी है, जबकि हमारी तुलना में पश्चिमी देशों ने बड़ी तेजी से योग को गले लगाया है।

अक्षर ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, योग अब सिर्फ योग नहीं, बल्कि उद्योग है। यह उद्योग आगामी कुछ वर्षो में बहुत बढ़ने जा रहा है। भारत को योग में अग्रणी मानना सिर्फ एक भ्रम है। पश्चिमी देशों में जिस तेजी से योग का विस्तार हुआ है, उस स्तर तक पहुंचने में भारत को समय लग रहा है।

वह कहते हैं,हमने योग को लोकप्रिय बनाने और इसके सही स्वरूप को बनाए रखने के लिए दो चीजें करने की सोची है। पहला योग को कस्टमाइज करना और दूसरा इसे स्टैंडराइज करना। हमने सबसे पहले बेंगलुरू में इसे कस्टमाइज करने की सोची और अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद हम सीधे आईटी क्षेत्र से जुड़े। हमने कॉरपोरेट क्षेत्र को योग से जोड़ने का फैसला किया है।

अक्षर फाउंडेशन ने योग को डायनामिक बनाने के लिए ‘कोकोनट योग’, ‘टेल योग’, ‘ओपन गार्डन योग’, ‘टॉप बिल्डिंग योग’ (गगनचुंबी इमारतों में योग करने की कला), ‘फ्लाइंग बर्ड योग’ और ‘स्टिक योग’ पर जोर दिया।

विदेशों में लोकप्रिय बीयर योग की काट के लिए अक्षर ने कोकोनट योग शुरू किया। इस बारे में उन्होंने कहा, यकीनन बीयर योग लोकप्रिय है, लेकिन मेरा मानना है कि योग को मोडीफाइ करना चाहिए, उसे करप्ट नहीं करना चाहिए। बीयर का योग के साथ कोई मतलब नहीं है। शराब पीकर योग हो ही नहीं सकता, इसका जवाब देने के लिए ही हमने कोकोनट योग शुरू किया।

अक्षर कहते हैं, अब लोगों की सोच में योग को लेकर बदलाव आ रहा है। योग को लेकर जागरूकता बढ़ी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के बाद योग को लेकर अलग तरह की दीवानगी देखने को मिल रही है। लेकिन भारत में यह दीवनागी सिर्फ दिखावा लगती है, जबकि विदेश में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

अक्षर फाउंडेशन के ग्राहकों में बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ शामिल हैं, जो योग सीखकर अपने कर्मचारियों को भी योग सीखने पर जोर दे रहे हैं। वह बताते हैं,हमारे पास बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ योग सीखने आते हैं, जिनमें इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। नैटेप, फिलिप्स के सीईओ हमारे ग्राहक हैं। वहीं, हम वायुसेना के साथ मिलकर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर काम कर रहे हैं।

अक्षर फाउंडेशन योग पाठ्यक्रमों के जरिए हर वर्ग के लोगों को शिक्षित करने की दिशा में भी काम कर रहा है। इस संदर्भ में छात्रों के लिए दो सिस्टम प्रोग्राम हैं। योग गुरु बताते हैं, हमने छात्रों के लिए योग में दो पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है। इसके लिए जैन यूनिवर्सिटी के साथ हाथ मिलाया गया है। दूसरा पोस्ट ग्रैजुएट पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया गया है, जो 2018-2019 तक शुरू हो जाएंगे।

वह आगे बताते हैं, हमने प्रोफेशनल प्रोग्राम तैयार किए हैं, पॉवर योग, हठयोग को लेकर प्रोग्राम बनाए हैं। अभी भारत में सिर्फ 20 स्कूल खोले हैं, जिसे आगामी कुछ वर्षों में बढ़ाकर 100 किया जाएगा। हमने योग को लेकर हंगरी, चीन, जापान, इजरायल, फ्रांस और आस्ट्रेलिया के साथ भी हाथ मिलाया है।

योग के इतने स्वरूपों के बीच लोगों के भ्रमित होने के बारे में पूछने पर वह कहते हैं, एक शिक्षित दिमाग कभी कन्फ्यूज नहीं होता। आधी-अधूरी जानकारी होगी तो भ्रमित ही होंगे। इसलिए हम योग को लेकर काउंसिलिंग भी करते हैं, अपने एसोसिएट को अस्पतालों में भेजते हैं।

अक्षर योग भी अपने तरह का एक योग फॉर्म है, जो विदेश में काफी लोकप्रिय हो रहा है। कई यूरोपीय और अमेरिकी देशों में योग को लेकर उत्सुकता है। वह बताते हैं, विदेश में योग की बहुत मांग है। हम लोग फ्रांस मे सिस्टर्स स्कूल, पेरिस के स्ट्रासबर्ग में कई इवेंट करते हैं। शीर्ष बिजनेस एसोसिएट किस तरह अपने कर्मचारियों के बीच योग को लोकप्रिय कर सकें, इस दिशा में काम किया जा रहा है। इसी तरह के कार्यक्रमों के लिए इजरायल और हंगरी में भी काम चल रहा है। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के लिए भी बातचीत चल रही है।

पश्चिमी देशों में प्रचलित न्यूड योग के बारे में वह कहते हैं कि यह योग नहीं है और भारत में तो इसके आने का सवाल ही नहीं उठता। वह कहते हैं,न्यूड योग भारत में नहीं है। यह अलग तरह का कल्चर है। इसे सिर्फ अमेरिका के मैनहट्टन, लंदन के कुछ हिस्सों और आस्ट्रेलिया में ही किया जाता है। यह योग का सोशल फॉर्म नहीं है।

अक्षर फाउंडेशन ने 2019 तक 100 स्कूल बनाने का लक्ष्य रखा है। वह कहते हैं, 2019 तक 100 स्कूल बनाने हैं। हमारा अगला कार्यक्रम दिल्ली के लिए है। इसके बाद मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और असम के लिए काम शुरू होगा।

Continue Reading

लाइफ स्टाइल

गर्मियों में रोजाना मूली खाने से होंगे कई फायदे, आज ही करें डाइट में शामिल

Published

on

By

benefits of eating radish daily in summer

Loading

नई दिल्ली। लोगों को लगता है कि मूली केवल सर्दियों में उगती है और इसे तभी खाया जाता है, लेकिन मूली की कुछ किस्मे बसंत और गर्मियों में भी उगती हैं, जैसे कि गाजर। सफ़ेद मूली भारत में सबसे अधिक पाई जाने वाली किस्म है, जो स्प्रिंग-समर सीजन में मिलती है।

इसके अलावा मूली की अन्य किस्में भी हैं, जिसमें गुलाबी और कभी-कभी काले रंग की मूली शामिल है। हालांकि, कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती, लेकिन हम आपको इसके कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप इसे खाने से परहेज नहीं करेंगे।

सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मूली?

RBC को बढ़ाए: मूली हमारे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) के डैमेज को होने से रोकता है और इस प्रक्रिया में खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी बढ़ाता है।

हाई फाइबर: अगर मूली को रोजाना सलाद के हिस्से के रूप में खाते हैं, तो यह शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है, जिससे डाइजेशन में सुधार होता है।

दिल के लिए फायदेमंद: मूली एंथोसायनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है और जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। साथ ही इनमें विटामिन सी, फोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: मूली पोटेशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है। खासकर अगर आप हाई बीपी से पीड़ित हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाए: मूली में हाई विटामिन सी होने के कारण यह सामान्य सर्दी और खांसी से बचा सकता है और इम्यूनिटी में भी सुधार कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको रोजाना मूली खाने की जरूरत होती है। इसके अलावा यह फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है।

ब्लड वैसल्स को मजबूत करता है: मूली कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बदले में ब्लड वैसल्स को बूस्ट करती है और एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को कम करती है।

मेटाबॉलिज्म के लिए फायदेमंद: यह रूट वेजिटेबल न केवल डाइजेशन के लिए अच्छी है, बल्कि यह एसिडिटी, मोटापा, गैस्ट्रिक समस्याओं और मतली जैसी परेशानियों को ठीक करने में भी मदद करती है।

न्यूट्रिशन से भरपूर: लाल मूली में विटामिन ई, ए, सी, बी6 और के होता है और यह सभी हमारे शरीर को अच्छी तरह से फंक्शन करने में मदद करती है।

स्किन के लिए फायदेमंद: हर दिन मूली का रस पीने से स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और ऐसा ज्यादातर विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस के गुणों के कारण होता है।

इसके अलावा ड्राईनेस, मुंहासे, फुंसी और रैशेज को भी दूर रख जा सकता है। वहीं मूली के रस को बालों में लगाते हैं, तो यह डैंड्रफ को दूर करने में भी मदद करता है, बालों का झड़ना रोकता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।

हाइड्रेट: गर्मियों में मूली खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।

डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

Continue Reading

Trending