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यूपी बना पेट्रोल व डीजल तस्करों का केंद्र

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लखनऊ। सूबे में पेट्रोल व डीजल पर वैट की सीमा निर्धारित हो जाने से सूबे में तेल की कीमतें देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक हो गई है। इसका लाभ उठाकर प्रदेश की सीमा से लगे हरियाणा, बिहार, दिल्ली से भारी मात्रा में तेल की तस्करी शुरू हो गई है।

इससे जहां आम आदमी की जेब कट रही है, वहीं वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों की जेब भर रही है। उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसियेशन ने मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ हुई बैठकों में इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अभी तक तस्करी के इस खेल को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।

प्रदेश में पेट्रोल व डीजल पर वैट सबसे अधिक

पूर्व वाणिज्यकर आयुक्त एम.के नारायण ने इसकी रोकथाम के लिए प्रदेश की सीमाओं पर अभियान चलाने की तैयारी शुरू ही की थी कि उनका स्थानान्तरण हो गया। देश के अन्य राज्यों के मुकाबले प्रदेश में पेट्रोल व डीजल पर वैट सबसे अधिक निर्धारित किया गया है। पेट्रोल पर वैट की सीमा 16.74 निर्धारित कर दी गई है। इसके अलावा कच्चे तेल को मथुरा रिफायनरी में लाने पर उस पर 5 फीसद प्रवेश कर अलग से लगता है। इस तरह से प्रदेश में पेट्रोल पर कुल 18 फीसद टैक्स लगता है।

इसी तरह डीजल पर 9.41 वैट तथा 5 फीसद प्रवेश कर मिलाकर कुल 11 फीसद टैक्स प्रदेश सरकार वसूल करती है। इसलिए देश के अन्य राज्यों के मुकाबले प्रदेश में पेट्रोल व डीजल के दाम सबसे अधिक हो जाने का लाभ तेल माफिया उठा रहे हैं। प्रदेश की सीमाओं से सटे हुए राज्यों से ड्रमों में तेल लाकर प्रदेश में खपाया जा रहा है। तेल माफिया दिल्ली से तेल लाकर नोएडा में खुलेआम बेच रहे हैं। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 64.47 प्रति लीटर है।

मथुरा रिफाइनरी में आता है सबसे पहले कच्चा तेल

उप्र में पेट्रोल की कीमत 71.68 रुपये प्रति लीटर है जो कि 7.21 प्रति लीटर अधिक है। तेल माफिया एक ड्रम में एक हजार लीटर तेल दिल्ली से लाकर उप्र में बेचकर टैक्स चोरी कर रहे हैं। तेल कम्पनियों ने भी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल माफियाओं ने खुलेआम पेट्रोल की बिक्री शुरू कर दी है जिससे पम्पों पर तेल की बिक्री न के बराबर हो रही है।

उप्र में तेल की सप्लाई के लिए आने वाला कच्चा तेल सबसे पहले मथुरा रिफाइनरी में आता है। इसके बाद यहां से पेट्रोल व डीजल तैयार होकर प्रदेश भर में भेजा जाता है। पेट्रोल पम्पों पर तेल की बिक्री के दौरान प्रवेश कर के रूप में पांच फीसद भी वसूला जाता है। इसके चलते उप्र में तेल की कीमते सबसे अधिक है।

चांैकाने वाली बात यह है कि राजधानी में चलने वाले रिलायंस कम्पनी के पेट्रोल पम्पों पर आने वाला तेल प्रदेश के बाहर की रिफाइनरी से तैयार होकर आता है लेकिन इनके बाद भी उस पर पांच फीसद का प्रवेश कर सरकार ने माफ कर रखा है। इससे सरकार के खजाने में पांच फीसद प्रवेश कर नहीं पहुंच रहा है, इससे ये पेट्रोल पम्प तेल सस्ता करके बेच रहे है, जिसका प्रभाव अन्य पेट्रोल पम्पो पर पड़ रहा है। पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.एन शुक्ल ने पिछले दिनों मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक में इस मुद्दे को उठाया था,लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई न होने से पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन में आक्रोश है।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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