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मुख्य समाचार

यूपी की 10 फीसदी आबादी अनपढ़!

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की 10 फीसदी आबादी अभी भी अनपढ़ है। इन सभी को प्रदेश सरकार ने 31 मार्च, 2017 तक साक्षर करने का लक्ष्य रखा है।

वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार, उप्र की 38.18 फीसदी आबादी निरक्षर थी और 15 फीसदी लोगों ने प्राइमरी तक भी शिक्षा नहीं ग्रहण की थी। प्रदेश का साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम होने से चिंतित प्रदेश सरकार ने इसे तेजी से ऊपर ले जाने की कवायद तेज कर दी है। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के लिए लगभग 93 करोड़ रुपये जारी किए हैं। यह राशि साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशक के जरिए खर्च की जाएगी।

इस समय उप्र की जनसंख्या 20 करोड़ से अधिक है, जबकि प्रदेश में अभी भी 1.81 करोड़ लोग निरक्षर हैं। राज्य सरकार ने 31 मार्च 2017 तक सभी को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है। केंद्र स्तर पर साक्षर भारत मिशन के तहत राज्यों को मदद देकर प्रदेश में निरक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले दिनों मुख्य सचिव आलोक रंजन ने साक्षरता बढ़ाने संबंधी योजनाओं पर चल रहे कार्यो की समीक्षा की थी।

मुख्य सचिव के अनुसार, एक मद में 72 करोड़ सात लाख रुपये तथा स्पेशल कम्पोनेंट प्लान में अनुसूचित जाति के लोगों को विशेष तौर पर साक्षर बनाने के लिए 20 करोड़ 80 लाख रुपये तथा जनजाति के निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए 10 लाख रुपये विशेष तौर पर जारी किए हैं। इस धन से प्रदेश में साक्षर भारत मिशन को गति मिलेगी।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में करीब पौने दो करोड़ से ज्यादा लोग अभी भी निरक्षर हैं, इनको नव साक्षर बनाने का जिम्मा अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का होगा और जिलाधिकारियों को प्राथमिकता के साथ इसकी मॉनीटरिंग करनी होगी। प्रदेश को 31 मार्च, 2017 तक पूरी तरह साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसके लिए हर घर का सर्वेक्षण कराना होगा और इसके बाद फिर उन्हीं लोगों को प्राथमिक साक्षर बनाने के बाद परीक्षा लेकर उत्तीर्ण कराकर प्रमाणपत्र भी देना होगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि धन मिलने से साक्षर भारत मिशन के काम में तेजी आएगी। प्रदेश में निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए पहले भी कई योजनाएं चली हैं।

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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