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मनोरंजन

मेवाड़ राजवंश ने पद्मावती पर सीबीएफसी के फैसले की निंदा की

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नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| मेवाड़ राजवंश ने शनिवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड(सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी को पत्र लिखकर बिना उनकी सहमति संजय लीला भंसाली की विवादस्पद फिल्म ‘पद्मावती’ को प्रमाणित किए जाने की निंदा की है। मेवाड़ राजवंश के 76वें महाराणा और लोकसभा के पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे महाराजकुमार विश्वराज सिंह ने यह पत्र लिखा है, जिसकी प्रति आईएएनएस के पास मौजूद है।

विश्वराज सिंह ने कहा है कि उन्हें जोशी ने फिल्म प्रमाणित करने की प्रकिया में सीबीएफसी की मदद के लिए 28 दिसंबर को जांच समिति की बैठक में बुलाया था, जहां उन्हें कुछ स्पष्टीकरण चाहिए थे।

इस संबंध में प्रसून जोशी की उपस्थिति में एक जांच समिति की बैठक गुरुवार को हुई थी। इस विशेष समिति में उदयपुर से अरविंद सिंह, और जयपुर विश्वविद्यालय के डॉ. चन्द्रमणि सिंह और प्रोफेसर के.के.सिंह शामिल थे।

सूचना संबंधित कुछ समस्या की वजह से, विश्वराज सिंह बैठक में शामिल नहीं हो सके और शनिवार को इस निर्णय की जानकारी मिली।

उन्होंने कहा, यह बहुत स्पष्ट है कि फिल्म मेरे परिवार पर है। कॉस्मेटिक बदलावों जैसे नाम में बदलाव से तथ्य में बदलाव नहीं आएगा, क्योंकि फिल्म में वास्तविक स्थानों, मेरे पूर्वजों और इतिहास में दर्ज उनके नाम वैसे ही हैं।

उल्लेखनीय है कि सीबीएफसी ने संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म ‘पद्मावती’ को कुछ बदलावों के साथ यू/ए प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है और फिल्म-निर्माता से कहा है कि फिल्म का नाम बदलकर ‘पद्मावत’ कर दिया जाए।

सीबीएफसी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, फिल्म में कुछ डिस्क्लेमर देने के लिए कहा गया है, जिसमें एक डिस्क्लेमर सती प्रथा को महिमामंडित न करने के संदर्भ में है। इसके साथ ही फिल्म के गाने ‘घूमर’ में प्रासंगिक बदलाव कर उसे किरदार के अनुरूप बनाने के लिए भी कहा गया है।

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प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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