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मेडिकल प्रवेश घोटाले में दूसरी याचिका पर शीर्ष अदालत ने जताई नाराजगी

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नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मेडिकल प्रवेश घोटाले में उड़ीसा उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की कथित भूमिका की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से करवाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में दूसरी याचिका दायर करने पर नाराजगी जाहिर की। मामले में दूसरी याचिका तब भी दाखिल की गई जबकि इसी संबंध में पहली याचिका न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

मामले में दूसरी याचिका दाखिल करने के तरीके और न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा इसे मंजूरी देने पर नाराजगी जताते हुए न्यायमूर्ति सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से पूछा कि इसमें इतनी जल्दी क्या थी।

यह स्पष्ट करते हुए कि मामले की गंभीरता समझ में आने वाली है, शीर्ष अदालत ने याचिका पर अपने आदेश में कहा कि एनजीओ कैंपेन फार जूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफार्म की ओर से दाखिल याचिका और वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल द्वारा दाखिल याचिका को एक साथ जोड़ने पर पहले सम्यक आदेश जारी होने दें। कामिनी जायसवाल की इस याचिका को गुरुवार को न्यायमूर्ति चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया है।

प्रशांत भूषण ने कामिनी जायसवाल की ओर से दाखिल दूसरी याचिका के संबंध में अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि चूंकि इस मामले में आरोपों की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ में की जा चुकी है, इसलिए उन्हें अपने प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था।

मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दाखिल प्रथम जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए भूषण ने कहा कि ‘पूरी साजिश मेडिकल कॉलेज के मामले की सुनवाई करने वाली पीठ को रिश्वत देने की थी।’ इसपर न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि यह प्रधान न्यायाधीश पर छोड़ देना चाहिए कि उनको मामले का निपटारा करना चाहिए या इससे अलग रहना चाहिए।

नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को खुद को पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष पक्ष रखने की अनुमति दे दी।

इस मामले में सीबीआई उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा एक ट्रस्ट द्वारा स्थापित लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दो अकादमिक वर्षो में छात्रों को प्रवेश दिलाने का आदेश देने का भरोसा दिलाने के संबंध जांच कर रही है।

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नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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