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मालेगांव विस्फोट : पुरोहित की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा। पुरोहित 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी है। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल व न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने आदेश को सुरक्षित रखा। पुरोहित ने अदालत से कहा कि वह बीते नौ सालों से जेल में हैं और वह जमानत पाने का हकदार है।
पुरोहित ‘अभिनव भारत’ के गठन से पहले सेना में था। अभिनव भारत का गठन उसने हिंदू राष्ट्र की लड़ाई के लिए किया था।
घटना में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए पुरोहित ने अदालत से कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि उस पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उसे जेल से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध की भी अधिकतम सजा सात साल है जो वह पहले ही काट चुका है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत याचिका का विरोध किया। एनआईए ने कहा कि मालेगांव विस्फोट में उसके शामिल होने के साक्ष्य हैं।
पुरोहित ने 25 अप्रैल के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मामले की दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दी गई थी।
नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए विस्फोट में 6 लोग मारे गए थे।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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