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महाराष्ट्र सरकार ने किसान आंदोलन के बारे में लिखने वाले आईएएस अधिकारी से जवाब मांगा

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मुंबई, 8 जुलाई (आईएएनएस)| महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने किसानों के आंदोलन के बारे में एक अग्रणी मराठी समाचार-पत्र में लेख लिखने पर शीर्ष भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) से जवाब मांगा है। इसका खुलासा शनिवार को एक आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी से हुआ है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि आईएएस अधिकारी राजगोपाल देवरा ने राज्यव्यापी किसान आंदोलन के बारे में 25 जून को अग्रणी मराठी समाचार पत्र ‘लोकसत्ता’ में ‘शेतकारी एकजुटिचा विजय’ शीर्षक से एक लेख लिखा था।

गलगली ने कहा, मैंने उन आईएएस अधिकारियों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी, जिन्हें मीडिया में इस तरह के लेख एवं स्तंभ लिखने की मंजूरी दी गई। सरकार ने बताया कि उन्होंने देवरा से स्पष्टीकरण मांगा है, क्योंकि यह लेख बिना किसी मंजूरी के लिखा गया।

आरटीआई के आधिकारिक जवाब में बताया गया कि जुलाई 2012 से जून 2017 के बीच की पांच साल की अवधि में सिर्फ तीन आईएएस अधिकारियों को सरकार ने मीडिया के लिए लेख एवं संपादकीय लिखने की मंजूरी दी थी।

इनमें अवर सचिव परिमल सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें अर्धसरकारी तिमाही प्रकाशन ‘हकारा’ के लिए 10 जुलाई, 2014 को ‘महाराष्ट्र स्टेट पीईएसए नियमों’ पर लेख लिखने की अनुमति दी गई थी। इसी तरह प्रधान सचिव (वित्त) विजय कुमार को 14 जनवरी, 2016 को ‘इन्सोल्वेसी एंड बैंकरप्सी कोड’ 2015 के तहत लेख लिखने की मंजूरी दी गई थी।

यहां उल्लेखनीय है कि देवरा जब जनजातीय विभाग में सचिव थे, तब उन्हें ‘कृषि कर्ज, मार्केटिंग, सहकारी कर्ज, कृषि वित्तीय नीतियां, मार्केटिंग सुधार एवं अन्य कृषि मुद्दों’ पर 31 अगस्त, 2016 को लेख लिखने की मंजूरी दी गई थी, पर ‘लोकसत्ता’ में किसानों के मुद्दे पर लेख लिखने की मंजूरी उन्हें नहीं दी गई थी।

गलगली ने कहा कि प्रत्येक नौकरशाह को मीडिया में स्तंभ, संपादकीय एवं अपने विचार लिखने के लिए हर बार सरकार से मंजूरी लेनी होती है, अन्यथा उन्हें अखिल भारतीय सेवा कानून (व्यवहार), 1968 के नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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नेशनल

बाबा रामदेव की सोन पापड़ी भी टेस्ट में ‘फेल’, असिस्टेंट मैनेजर समेत 3 को 6 महीने की जेल

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नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई थी। अब पतंजलि कंपनी की सोन पापड़ी फूड टेस्‍ट में फेल गई है। मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्‍टेंट मैनेजर सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुना दी है। तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत सजा सुनाई गई है। असिस्टेंट मैनेजर को 50 हजार और अन्य 2 दोषियों को 10 और 25 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। मामले में शिकायतकर्ता की ओर से रितेश वर्मा ने पैरवी की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर 2019 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ बेरीनाग बाजार का दौरा किया था। इस दौरान बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान में रेड मारी गई। जांच करते हुए रेड टीम ने पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए रुद्रपुर की लैंब में भेजा गया। साथ ही सप्लायर रामनगर कान्हा जी और पतंजलि को नोटिस जारी किए गए।

जांच में मिठाई की क्वालिटी घटिया मिली। सैंपल फेल हो गया और पुलिस ने एक्शन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अभिषेक कुमार, कान्हा जी डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड रामनगर के असिस्टेंट मैनेजर अजय जोशी, दुकानदार लीलाधर पाठक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिन जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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