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मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने पर चीन ने लगाया अड़ंगा, भारत चितिंत
नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में चीन के रोड़ा अटकाने पर भारत ने शुक्रवार को कहा कि बीजिंग का यह रवैया आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसके दोहरे चरित्र को उजागर करता है और यह ‘चौंकाने’ वाली बात है क्योंकि वह खुद आतंकवाद से पीडि़त है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सैंकशंस कमेटी के तहत मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रस्ताव को रोकने के चीन के फैसले को हमने गंभीरता से लिया है। इस प्रस्ताव को भारत ने नौ महीने पहले पेश किया था, जिसे कमेटी के अन्य सभी देशों का साथ मिला था।”
बयान के मुताबिक, “मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नाकामी उसके द्वारा आतंकवाद के सभी रूपों से प्रभावी ढंग से निपटने के पुख्ता प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण रूप से धक्का लगा है और आतंकवाद के खिलाफ जंग में दोहरे चरित्र की प्रधानता की पुष्टि करता है।”
उल्लेखनीय है कि अप्रैल महीने में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों पर चीन ने रोड़ा अटका दिया था, जिसके बाद नई दिल्ली ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया जताई और बीजिंग को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने का प्रयास किया। लेकिन सितंबर में एक बार फिर चीन ने भारत के इस प्रयास में तकनीकी रोड़ा अटका दिया।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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