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अन्तर्राष्ट्रीय

मई-2017 बीते 137 सालों में दूसरा सबसे गर्म मई का महीना : नासा

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वाशिंगटन, 16 जून (आईएएनएस)| अमेरिकी संस्था नासा के वैज्ञानिकों द्वारा वैश्विक तापमान के मासिक विश्लेषण करने पर यह बात सामने आई है कि मई 2017 आधुनिक रिकॉर्ड में दर्ज पिछले 137 वर्षो में अब तक का दूसरा सबसे गर्म मई का महीना रहा है। मई के तापमान में यह विसंगति बीते दो साल में ही देखने को मिली हैं क्योंकि रिकॉर्ड में मई 2016 सबसे गर्म महीने के रूप में दर्ज है।

नासा ने अपने बयान में कहा, मई 2017 का तापमान मई 2016 के मुकाबले 0.05 डिग्री सेल्सियस कम रहा। यह तीसरे सबसे गर्म मई के महीने के मुकाबले सिर्फ 0.01 डिग्री सेल्सियस गर्म था, जो 2014 में हुआ था।

न्यूयार्क में नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाने वाला मासिक विश्लेषण दुनियाभर के 6,300 मौसम विभाग के स्टेशनों द्वारा जुटाए गए डेटा के आधार पर किया जाता है।

आधुनिक वैश्विक तापमान दर्ज करने की शुरुआत 1880 में हुई। इससे पहले हुए विश्सेषण में पूरा ग्रह कवर नहीं हुआ था।

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अन्तर्राष्ट्रीय

गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत

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नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।

यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।

स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।

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