अन्तर्राष्ट्रीय
बेनजीर हत्याकांड : पूर्व आईएसआई कर्मी का गवाही से इंकार
इस्लामाबाद | पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में प्रमुख गवाह एवं पूर्व इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) कर्मी ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के संदिग्ध आरोपियों के खिलाफ गवाही देने से मना कर दिया है। इन आरोपियों पर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है।
समाचार पत्र ‘डॉन’ की वेबसाइट पर मंगलवार को जारी रपट में कहा गया है कि आईएसआई के पूर्व टेलीफोन संचालक ने सोमवार को न्यायालय में गवाही देने से इनकार कर दिया। उसने दलील दी कि उसकी जान को खतरा है, वह खबर पख्तूनख्वा के कराक जिले में रहता है, जो टीटीपी का गढ़ है। इसके फलस्वरूप आतंकवाद-रोधी न्यायालय (एटीसी) ने आईएसआई कर्मी के पूर्व बयान को रद्द कर दिया, जो उसने भुट्टों की हत्या की जांच कर रहे अधिकारियों के समक्ष दर्ज कराया था।
आईएसआई कर्मी ने जांचकर्ता अधिकारियों के समक्ष इस बात की पुष्टि की थी कि उसने आरोपियों और टीटीपी के आतंकवादियों के बीच फोन वार्ता को बाधित किया था। टीटीपी के पांच आरोपियों -एतजाज शाह, रफाकत हुसैन, हुसनैन गुल, शेर जमान और अब्दुल राशिद पर भुट्टों की हत्या के मामले में मुकदमा चलाया जा रहा है।
बेनजीन हत्याकांड में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, रावलपिंडी के पूर्व सिटी पुलिस अधिकारी (सीपीओ) सऊद अजीज एवं पूर्व पुलिस अधीक्षक खुर्रम शहजाद भी आरोपी हैं। बेनजीन भुट्टो की 27 दिसंबर, 2007 को हत्या कर दी गई थी, जब वह रावलपिंडी के लियाकत अली बाग में एक चुनावी रैली में हिस्सा लेने गई थीं।
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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