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बिहार चुनाव : तीसरे चरण में 50 सीटों पर मतदान बुधवार को

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पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में बुधवार को 50 विधानसभा क्षेत्र के करीब 1.46 करोड़ मतदाता 71 महिला समेत 808 प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे। तीसरे चरण के चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और सत्ताधारी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अन्य राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणात्मक भी बनाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।

बिहार चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में सारण, वैशाली, नालंदा, पटना, भोजपुर और बक्सर जिले के मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। बिहार में तीसरे चरण में करीब 1.46 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिनके लिए 14,170 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आऱ लक्ष्मणन ने बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की गई है।

उन्होंने बताया कि मतदान के दिन हेलीकॉप्टरों की तैनाती की जाएगी तथा किसी भी दुर्घटना की स्थिति में एयर एंबुलेंस को भी तैनात किया जा रहा है। सुरक्षा के लिए ड्रोन से भी निगाह रखी जाएगी। इन क्षेत्रों में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान के लिए 700 कंपनी केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। जिन विधानसभा क्षेत्रों में नदियां हैं, वहां नौका से गश्त कराई जाएगी। तीसरे चरण के मतदान में राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के दोनों पुत्र तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और भाजपा के नेता नंदकिशोर यादव, मंत्री श्याम रजक, श्रवण कुमार, अमरेंद्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गजों के भाग्य का फैसला जनता करेगी।

इस चरण में जिन छह जिलों के 50 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें 10 विधानसभा क्षेत्रों को संवेदनशील क्षेत्र माना गया है, जिस कारण इन क्षेत्रों में मतदाता सात बजे से चार बजे शाम तक, जबकि शेष क्षेत्रों में मतदाता सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक मतदान कर सकेंगे। तीसरे चरण के चुनाव में राजग की ओर से भाजपा के 34, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के 10, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के दो, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन में जद (यू) के 18, राजद के 25, और कांग्रेस के सात प्रत्याशी चुनावी समर में हैं।

इस चरण के मतदान के लिए मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरा जोर लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह समेत एक दर्जन भर केंद्रीय मंत्रियों ने कई चुनावी सभाएं कर लोगों से राजग के पक्ष में मतदान करने की अपील की। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ताधारी महागठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया।

इस चुनाव में महागठबंधन और राजग के अलावा छह वामपंथी दल एक अलग मोर्चा बनाकर चुनावी समर में ताल ठोक रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में भी कई राजनीतिक दल का एक अलग गठबंधन भी चुनावी मैदान में है। बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए 12 अक्टूबर से पांच नवंबर के बीच पांच चरणों में मतदान होना है। प्रथम चरण में 49 विधानसभा सीटों के लिए तथा दूसरे चरण में 32 सीटों के लिए मतदान हो चुका है। मतगणना आठ नवंबर को होगी।

नेशनल

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।

पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।

नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

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