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बच्चे झूठ बोलने लगते हैं कब
नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)| बच्चा पूछता है, ‘मॉम, क्या मैं बारिश में खेलने जाऊं?’, ‘क्या मैं आइसक्रीम खा लूं?’ ‘क्या मैं अपने दोस्तों के साथ ट्रैकिंग पर जाऊं?’, इन सब प्रश्नों के लिए मां का क्या जवाब होगा, हम सभी जानते हैं। मां जरूर कहेगी ‘नहीं’ और बच्चा मायूस हो जाएगा। मांएं अपने बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ चाहती हैं, इसलिए वे सुरक्षा के प्रति बहुत सावधान रहती हैं। उनका पूरा ध्यान इस बात पर रहता है कि उनके बच्चे सेहतमंद रहें, उचित खाना खाएं, समय पर सोएं, स्कूल में अच्छा परफॉर्म करें। उनकी सावधानियों की सूची अंतहीन है। बार-बार डॉक्टर के क्लीनिक में जाने से बच्चे के पूरे विकास में भी बाधाएं आती हैं।
जहां एक तरफ ज्यादातर मांएं बच्चों की शारीरिक सेहत के प्रति बहुत सावधान होती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ वे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान नहीं देतीं। अपनी सावधानी में मांएं इस कदर मशगूल हो जाती हैं कि यह भूल जाती हैं कि उनके व्यवहार का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
तेजी से बदलते मौसम देख मांएं चिंतित हो जाती हैं। उनके पास केवल एक विकल्प बचता है और वो है अपने बच्चों की दैनिक गतिविधियों को नियंत्रित करके उन्हें सेहतमंद आहार के लिए मजबूर करना। इसके लिए उन्हें खाने-पीने की कई चीजों को न कहना पड़ता है। बार-बार ‘न’ सुनने का बच्चों के मनोविज्ञान पर क्या असर पड़ता है और बार-बार मना करने पर बच्चों के संपूर्ण विकास एवं उनके व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ेगा, इस बारे में आइए, मनोवैज्ञानिक की राय जानें।
मनोवैज्ञानिक डॉ. सपना जरवाल कहती हैं, बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं। वे अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास होता है। अपने माता-पिता से बार-बार ‘न’ सुनकर बच्चे झूठ बोलने या फिर अपने माता-पिता से चीजें छिपाने लगते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचता है और वे सामाजिक रूप से अलग रहने लगते हैं।
उन्होंने कहा, इन चीजों से मां और बच्चे के बीच संबंध खराब हो सकते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि मां को एहसास हो कि असली समस्या बच्चे की मांग नहीं, बल्कि उनका कमजोर प्रतिरोधी तंत्र है, जिस कारण वे बार-बार बीमार पड़ते हैं।
डॉ. सपना के मुताबिक, माताएं बच्चों को ‘न’ इसलिए कहती हैं कि वे उनके संपूर्ण विकास के लिए फिक्रमंद होती हैं। कामकाजी माताओं के बच्चे कई बार उनकी निगरानी के बिना खाते-पीते हैं, जिस कारण माताओं के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि उनके बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व प्राप्त हों।
शोधकर्ताओं को पता चला है कि जो बच्चे अपने माता-पिता से लगातार उपेक्षित रहते हैं, वे स्वभाव से बहुत ज्यादा अंतर्मुखी हो जाते हैं। उनमें आत्मविश्वास की कमी तथा असुरक्षित व्यक्तित्व होता है। कई बच्चे निर्णय लेने में असमर्थ रहते हैं, क्योंकि वे यह तय नहीं कर पाते कि वे जो कर रहे हैं, वह सही है या गलत। उनका सामाजिक कौशल काफी खराब होता है और वयस्क होने पर अपने कार्यस्थल पर टीम के अच्छे सदस्य नहीं कहलाते।
प्रतिष्ठित न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. नीति देसाई ने मांओं से हुई बातचीत के बारे में बताया, अक्सर मांएं मेरे पास अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित अवस्था में आती हैं, क्योंकि उनका बच्चा अनियमित आहार लेता है और अक्सर बीमार पड़ जाता है। मांओं को हर चीज के लिए अपने बच्चों के पीछे भागना पड़ता है और फिक्रमंद मां होने के कारण उन्हें कई सारी चीजों के लिए न कहना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बार-बार ‘न’ कहने से बच्चों के व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अनियमित आहार लेने की आदत अधिकांश बच्चों में समय के साथ बदल जाती है और बाद में उनके आहार में आवश्यक पोषक तत्व शामिल हो जाते हैं। तब डाइनिंग टेबल पर आहार को लेकर डांट-डपट की संभावनाएं भी खत्म हो जाती हैं।
डॉ. नीति ने कहा कि सबसे अच्छा समाधान यह है कि बच्चों को ऐसा मल्टीविटामिन/मल्टीमिनरल सप्लीमेंट दिया जाए, जो उन्हें कुछ पोषक तत्वों का 100 प्रतिशत आरडीए प्रदान करे, जो न केवल आहार में अनुपस्थित पोषक तत्वों की कमी को पूरा करे, बल्कि बच्चे की प्रतिरोधी क्षमता का भी विकास करे।
मजबूत बच्चों की मां को कम चिंता होती है, इसलिए प्रसन्नचित्त, सकारात्मक एवं मजबूत बच्चे का विकास होने दीजिए। अच्छा प्रतिरोधी सिस्टम सेहतमंद शरीर के साथ सेहतमंद मस्तिष्क भी प्रदान करता है। इसलिए स्वयं में बदलाव करें और ‘यस मॉम’ बनकर अपने बच्चों में मजबूत प्रतिरोधी शक्ति का विकास कर उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक विकसित होने से न रोकें।
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Modi 3.0: बंटे विभाग, टॉप 4 में कोई परिवर्तन नहीं, जानें किसे कौन सा मंत्रालय मिला
नई दिल्ली। देश में तीसरी बार मोदी सरकार बन चुकी है। नई सरकार में पीएम मोदी समेत कुल 72 मंत्रियों ने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली। आज मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर के मंत्रालय में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये नेता वही मंत्रालय संभालेंगे, जिसे वह मोदी सरकार 2.0 में संभाल रहे थे।
मंत्रियों और उनके मंत्रालय की पूरी लिस्ट
मोदी कैबिनेट 3.0
1. नितिन गडकरी को सड़क परिवहन मंत्रालय
2. अजय टम्टा और हर्ष मल्होत्रा सड़क परिवहन राज्यमंत्री
3. एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय,
4.अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय
5. राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय,
6अमित शाह को गृह मंत्रालय
7. निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय
8. मनोहर लाल को ऊर्जा मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय
9. तोखन साहू शहरी विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री
10. श्रीपद नाइक ऊर्जा मंत्रालय में राज्यमंत्री
11. वित्त मंत्री बनी रहेंगी निर्मला सीतारमण
12. हरदीप सिंह पुरी पेट्रोलियम मंत्री बने रहेंगे
13. पीयूष गोयल को वाणिज्य मंत्रालय
14. अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय
15. शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय
16. धर्मेंद्र प्रधान को HRD मंत्रालय का प्रभार
17. शोभा करंदलाजे लघु उद्योग राज्यमंत्री
18. जीतनराम मांझी लघु उद्योग मंत्री बने
19. किरेन रिजिजू संसदीय कार्य मंत्री बने
20. सीआर पाटिल को जलशक्ति मंत्रालय
21. राम मोहन नायडू को नागरिक उड्डयन
22. गजेंद्र शेखावत संस्कृति और पर्यटन मंत्री
23. सुरेश गोपी राज्यमंत्री संस्कृति और पर्यटन
24. भूपेंद्र यादव को पर्यावरण मंत्रालय
25. जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय
26. चिराग पासवान को खेल और युवा कल्याण मंत्रालय
27. सर्बानंद सोनोवाल को पोर्ट शिपिंग मंत्रालय
28. शांतनु ठाकुर पोर्ट शिपिंग राज्यमंत्री
29-एच डी कुमारस्वामी- भारी उद्योग मंत्रालय
30-हरदीप सिंह पूरी को पेट्रोलियम मंत्रालय
31-गिरिराज सिंह बने कपड़ा मंत्री
32-ज्योतिरादित्य सिंधिया टेलीकॉम मंत्रालय
33-अन्नपूर्णा देवी को महिला बाल विकास मंत्रालय की ज़िम्मेदारी
ये बनाए गए राज्यमंत्री – जितिन प्रसाद, श्रीपद नाईक, पंकज चौधरी, कृष्णपाल गुर्जर, रामदास अठावले, रामनाथ ठाकुर, नित्यानंद राय, अनुप्रिया पटेल, वी सोमन्ना, पी चंद्रशेखर, एसपी सिंह बघेल, शोभा करंदलाजे, बीएल वर्मा, कीर्ति वर्धन सिंह, शांतनु ठाकुर, सुरेश गोपी, एल मुरुगन, अजय टम्टा, बंदी संजय कुमार, कमलेश पासवान, भागीरथ चौधरी, सतीश चंद्र दुबे, संजय सेठ, रवनीत सिंह बिट्टू, दुर्गादास उड़के, रक्षा खडसे, सुकांत मजूमदार, सावित्री ठाकुर, टोकन साहू, राजभूषण चौधरी, श्रीनिवास वर्मा, नीमूबेन बामणिया, मुरलीधर मोहोल, जॉर्ज कुरियन, पबित्रा मार्गेरिटा
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