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प्रादेशिक

फ्लाई-ऐश के कुप्रबंधन से ओडिशा में प्रदूषण

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भुवनेश्वर| कोयला समृद्ध राज्य ओडिशा में बिजली उत्पादन क्षेत्र में भारी निवेश हुआ है, लेकिन बिजली उत्पादन कंपनियों में पैदा होने वाले फ्लाई-ऐश का समुचित ढंग से उपयोग नहीं हो पाने के कारण राज्य में वायु और जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है।

राज्य के ऊर्जा मंत्री प्रणब प्रकाश दास ने राज्य विधानसभा में कहा कि ओडिशा में अभी कोयला आधारित नौ बिजली संयंत्रों से 2.452 करोड़ टन फ्लाई-ऐश निकलता है। आने वाले वर्षो में यदि सभी प्रस्तावित 31 बिजली संयंत्र चालू हो जाते हैं, तो उनसे निकलने वाले फ्लाई-ऐश की मात्रा 9.25 करोड़ टन हो जाएगी।

स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) ने राज्य सरकार के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने के बाद प्रस्तावित कोयला आधारित परियोजनाओं में 32,991 करोड़ रुपये का निवेश किया है, लेकिन बात जब फ्लाई ऐश प्रबंधन की आती है तो ताप बिजली कंपनियां इसका उपयोग करने में असफल रही हैं।

राज्य ने 28 बिजली कंपनियों के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।

देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने एक रपट में कहा है, “राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े के मुताबिक 2005-06 से 2008-09 के बीच फ्लाई-ऐश का कुल जमाव 3.699 करोड़ टन हुआ, जो 2009-10 से 2013-14 के बीच और 5.221 करोड़ टन बढ़ गया, यानी कुल 8.92 करोड़ टन फ्लाई-ऐश का ढेर लग गया।”

रपट में कहा गया है, “2009-10 से 2013-14 के बीच फ्लाई-ऐश के उपयोग का अनुपात हालांकि 43.93 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी हो गया है, फिर भी हर साल ढेर लगने वाले फ्लाई-ऐश की मात्रा में विशेष परिवर्तन नहीं आ रहा है, जो 94.4 लाख टन से 1.078 करोड़ टन के बीच है।”

सीएजी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक किसी भी संयंत्र के फ्लाई-ऐश के सौ फीसदी हिस्से का उपयोग होना चाहिए, लेकिन उसमें अधिकतर संयंत्र असफल हैं।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरणविद डी.के. बेहरा ने आईएएनएस से कहा कि फ्लाई-ऐश का उपयोग ईंट बनाने और सड़क निर्माण में हो रहा है। यही नहीं सरकार ने अन्य क्षेत्रों में इसके उपयोग पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- भुवनेश्वर और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान-राउरकेला से शोध रपट तैयार कराने का फैसला किया है।

 

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प्रादेशिक

गाजियाबाद में बीच सड़क पर चलती कार बनी आग का गोला, ड्राइवर ने कूदकर बचाई जान

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गाजियाबाद। गाजियाबाद में शनिवार को एक चलती कार में अचानक आग लग गई। आग बेहद भीषण थी और कुछ पलों में ही आग की तेज लपटों ने पूरी गाड़ी को घेर लिया। दोनों तरफ से ट्रैफिक चल रहा था इसी दौरान कार में ब्लास्ट भी हुआ। हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में ड्राइवर को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। उसने पहले से कार से कूदकर अपनी जान बचा ली।

मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। गनीमत रही कि घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। फायर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार को गाजियाबाद के फायर स्टेशन कोतवाली में दिन में 2 बजे चिरंजीव विहार के सामने हापुड़ रोड पर कार में आग की सूचना मिली।

सूचना मिलते ही फायर स्टेशन कोतवाली का एक फायर टेंडर यूनिट को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। घटनास्थल पर पहुंच कर फायर कर्मियों ने देखा कि गाड़ी से आग की लपटें काफी तेज हैं और आग पूरी गाड़ी में फैल चुकी है। फायर यूनिट ने शीघ्रता से होजलाइन फैलाकर फ़ायर फ़ाइटिंग कर आग को पूर्ण रूप से शांत किया। जानकारी के मुताबिक यह महिंद्रा कंपनी की केयूवी कार थी। गाड़ी डीजल की थी। गाड़ी के मालिक का नाम परवेज आलम है। वो गाड़ी से डासना की तरफ जा रहे थे।

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