Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

पुणे में क्लाइमेट-रेसिलिएंट खेती मॉडल ने जीता इक्वेटर पुरस्कार

Published

on

Loading

महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित नांदेड़ जिला स्थित अपने गांव में वनिता साहेबराव (60) को अपनी सात एकड़ जमीन पर सोयाबीन, जवार तथा कपास के उत्पादन के लिए साल 2012 तक सालाना 40 हजार रुपये खर्च करने पड़ते थे। यह जिला मराठवाड़ा का हिस्सा है, जो सूखा व किसानों की खुदकुशी के लिए जाना जाता है।

वनिता के पति चीनी मिल में काम करते हैं, जिन्होंने किसानी का पूरा काम उनपर छोड़ दिया है। अपनी खेत में वह कुछ सब्जियां व दालें भी उगा लेती थीं, लेकिन यह उन्हें बेहद महंगा पड़ता था, क्योंकि उन्हें इसके लिए रसायनों व बाजार से खरीदे गए बीजों पर निर्भर रहना पड़ता था। वह दो एकड़ जमीन में केवल कपास उगाती थीं।

नकदी फसल पर केंद्रित होने का मतलब है दो एकड़ जमीन का खेती के लिए इस्तेमाल नहीं होना, क्योंकि कपास सालों भर खेत में लगी रहने वाली फसल है। सूखा प्रभावित क्षेत्र में प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों तथा बदलते बाजार परिदृश्य में न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के पास आजीविका के लिए कोई वैकल्पिक स्रोत था, जिससे उनकी नियमित आय होती रहे।

लेकिन पांच साल पहले इसमें बदलाव आया, जब उन्होंने तथाकथित ‘वन-एकड़ मॉडल’ अपनाया। यह मॉडल क्लाइमेट-रेसिलिएंट कृषि का नवाचार तरीका है। आधे एकड़ में शुरुआत के साथ ही आज की तारीख में वह 3.5 एकड़ भूमि का प्रबंधन कर रही हैं और सब्जियां, गेहूं, दालें व हल्दी का उत्पादन कर रही हैं, जो 100 फीसदी जैविक हैं।

नकदी फसल पर अपना ध्यान केंद्रित करने की बजाय, वनिता को परिवार के लिए पोषण की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। सूखे के दौरान उन्होंने परिवार में खपत होने वाली फसलें उगाईं। बाकी बचे उत्पादों को उन्होंने बाजार में बेचकर 45,000 रुपये की कमाई की।

वनिता मराठवाड़ा की उन 72,000 महिला किसानों में से एक है, जिनके जीवन को स्वयं शिक्षण प्रयोग (एसएसपी) ने बदल दिया। एसएसपी पुणे का एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो महिलाओं को सतत कृषि कार्यो तथा प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए सशक्त कर रहा है, ताकि उन्हें नियमित आय हो, उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे तथा क्षेत्र में खाद्य एवं जल सुरक्षा सुनिश्चित हो।

किसानों को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए यूएनडीपी द्वारा इस साल दिए गए इक्वेटर पुरस्कार के 15 विजेताओं में एसएसपी भी है। साल 2009 में शुरू हुए संगठन की पहल ने पिछले दो वर्षो के दौरान 20,000 से अधिक महिलाओं को इलाके में सशक्त किया है।

वन-एकड़ मॉडल के तहत, पोषण सुरक्षा, मिट्टी की उर्वरता, कृषि-जैव विकास तथा आय व्यवहार्यता के लिए फसल उगाया जाता है। परिवार की रसोई को चलाने वाली एवं बच्चों को पालने वाली महिलाएं अपने परिवार के पोषण की जरूरतों को पुरुषों से ज्यादा समझती हैं और यही कारण है कि यह कार्यक्रम महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है।

एसएसपी के कार्यक्रम की प्रबंधक अंजलि वर्मा ने कहा, पुरुष आय के उपार्जन के लिए नकदी फसल पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि महिलाएं परिवार के पोषण की जरूरतों को समझती हैं और यह जरूरी है कि वे यह फैसला लें कि कौन सी फसल बोई जाए, जिससे न सिर्फ संकट काल में परिवार के लिए अनाज मौजूद रहे, बल्कि आय भी हो।

मराठवाड़ा में जहां सैकड़ों किसान बीते पांच वर्षो के सूखे के दौरान खुदकुशी कर चुके हैं, वहां उन महिलाओं का जीवन बेहद कठिन हो चला है, जिन्हें अपने परिवार की आजीविका चलानी है। उन्होंने कहा, अगर आप खुदकुशी के मामलों को देखें, तो ऐसा करने वाले केवल पुरुष ही हैं। महिलाओं के लिए जीवन का त्याग करना आसान विकल्प नहीं है। वे ताउम्र अपने परिवार के लिए संघर्ष करती हैं।

मराठवाड़ा में कार्यक्रम से लाभ उठाने वाली महिला शैला नारोड़ ने कहा, मराठवाड़ा केवल किसानों की खुदकुशी के बारे में नहीं है। यह हमारे जैसे लोगों के बारे में भी है, जिन्होंने सूखा तथा किस्मत को चुनौती दे रखी है।

Continue Reading

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

Published

on

Loading

श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

Continue Reading

Trending