अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान ने भारत प्रायोजित आतंकवाद को लेकर साक्ष्य नहीं दिए’
इस्लामाबाद| अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान ने अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में भारत की कथित संलिप्तता को लेकर उसे कोई साक्ष्य नहीं दिए हैं। समाचार-पत्र ‘डॉन’ की रपट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि पाकिस्तान ने इस बारे में कोई साक्ष्य अमेरिका को नहीं सौंपा है।
पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने अपनी हालिया वाशिंगटन यात्रा के दौरान अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाते हुए कहा था कि पाकिस्तान के पास इसे लेकर साक्ष्य हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वाशिंगटन में नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब इस बारे में सवाल किए गए तो किर्बी ने कहा, “मुझे नहीं मालूम कि ऐसा कोई साक्ष्य अमेरिका को सौंपा गया है।”
किर्बी ने हालांकि भारत के उस दावे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, जिसमें भारत ने कहा है कि उसके पास अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान की संलिप्ता के साक्ष्य हैं।
किर्बी ने दोनों देशों से अपने मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम हो। हम चाहते हैं कि वे साथ मिलकर अपने मतभेदों को दूर करें और द्विपक्षीय समस्याओं का समाधान निकालें।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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