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पत्रकारिता में मिसाल कायम करने वाले फरजंद अहमद को पत्रकारों ने याद किया

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लखनऊ. पत्रकारिता की दुनिया में तमाम मिसालें क़ायम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार फरजंद अहमद को आज उनके पत्रकार साथियों ने एनेक्सी के मीडिया सेन्टर में यादshoksabha किया. उनकी क़ाबलियत, उनकी विनम्रता, खबरों को लेकर उनकी समझ, इतने बड़े होकर भी सामान्य बने रहने का उनका फन. उनकी ज़िन्दगी के हर पहलू पर आज चर्चा हुई. उनकी याद में हुई शोकसभा में उनकी यादों को संजोये रखने के लिये उनके नाम पर अवार्ड घोषित कराने, उनके नाम पर पुस्तकालय की स्थापना कराने और उनके नाम पर नये पत्रकारों को प्रशिक्षण देने सम्बन्धी प्रस्ताव भी आये.
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने इस मौके पर कहा कि वह सरकार से मांग करेंगे कि मुख्यमंत्री के नये कार्यालय में लायब्रेरी का नाम स्वर्गीय फरजंद अहमद के नाम पर किया जाये. उन्होंने कहा कि हिन्दी संस्थान और उर्दू अकादमी से भी वह यह अनुरोध करेंगे कि पत्रकारिता के क्षेत्र में फरजंद अहमद के नाम पर पुरस्कार घोषित किया जाये.
वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा कि फरजंद अहमद बहुत बड़े क़द के थे. उनके नाम पर स्कालरशिप वगैरह की व्यवस्था होनी चाहिये. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि फरजंद अहमद की यह खासियत थी कि जो भी उनसे मिलता था उन्हें चाहने लगता था. विपरीत परिस्थितियों में भी वह घबराते नहीं थे लेकिन कैंसर ने उन्हें भी डरा दिया था. वह डरे इसलिए थे कि कैंसर का इलाज बहुत महंगा होता है. उन्होंने कहा कि फरजंद अहमद की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह अपना व्यक्तित्व कभी किसी पर हावी नहीं होने देते थे.
सूचना विभाग के उप निदेशक डॉ. वजाहत हुसैन रिज़वी ने कहा कि उनमें कोई बनावट नहीं थी. वह कभी दिखावा नहीं करते थे. उन्होंने बताया कि मैंने नया दौर का मोहम्मद अली जौहर अंक निकाला तो उन्होंने उसकी बहुत तारीफ़ की और उसकी समीक्षा इण्डिया टुडे में छपवाई.
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर ने कहा कि फरजंद साहब से 1981 में मुलाक़ात हुई जो उनकी मौत से 10 दिन पहले तक लगातार जारी रही. जब तक वह लखनऊ में रहे हम हर दिन मिलते थे. उन्होंने कहा कि वह बहुत पढ़ते थे और दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे. उन्होंने लिखना भी सिखाया और विनम्रता भी सिखाई.
फरजंद अहमद के छोटे भाई फैजान अहमद जो हाल ही में टाइम्स ऑफ़ इण्डिया से रिटायर हुए हैं उन्होंने कहा कि फरजंद साहब उनके भाई बाद में दोस्त पहले थे. पत्रकारिता की एबीसीडी उन्हीं से सीखी.
वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा ने कहा कि अगर फरजंद साहब से मुलाक़ात नहीं होती तो शायद आज मैं पत्रकार नहीं होता. मैं अखबारों में सिर्फ लेख लिखता था. फरजंद साहब से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बहुत प्रभावित किया. फरजंद साहब ने कालाहांडी की भुखमरी की खबर को सबसे पहले ब्रेक किया था. जबकि उस दौर में आज जैसी टेक्नालाजी नहीं थी. इतने फोन नहीं थे. इसी तरह जहानाबाद का नरसंहार पर भी फरजंद साहब की स्टोरी बहुत हिट हुई थी.
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने उन दिनों को याद किया जब वह माया में थे और फरजंद साहब इण्डिया टुडे में. दोनों पत्रिकाओं में कम्पटीशन भी चलता था. लेकिन माया में कोई अच्छी स्टोरी छपती थी तो फरजंद साहब दिल खोलकर तारीफ़ करते थे.
इण्डिया टुडे से जुड़े आशीष मिश्र ने कहा कि फरजंद साहब को पढ़-पढ़कर मैंने कम्पटीशन की तैयारी की. जब इण्डिया टुडे में आया तब फरजंद साहब ने बहुत कुछ सिखाया. उन्होंने कहा कि वह हर चीज़ बहुत सलीके से सिखाते थे. उन्होंने कहा कि फरजंद साहब से बहुत कुछ मिला.
शोक सभा में फरजंद अहमद के पुत्र नय्यर आज़ाद, भास्कर दुबे, मोहम्मद ताहिर, श्रीधर अग्निहोत्री, सुमन गुप्ता, तमन्ना फरीदी, अविनाश, शबाहत हुसैन विजेता, राजेश मिश्र, अशोक मिश्र, उमाशंकर त्रिपाठी, के. बक्श सिंह, राजेन्द्र गौतम और अतहर रजा सहित लगभग सौ पत्रकारों से फरजंद अहमद की पत्रकारिता के क्षेत्र में की गई सेवाओं को याद किया. शोकसभा के बाद दो मिनट का मौन रखा गया.

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पुणे हिट एंड रन केस: कोर्ट ने आरोपी के पिता को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा

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पुणे। पुणे हिट एंड रन केस में पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। इससे पहले मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में पुलिस ने नाबालिग आरोपी को जमानत मिलने के बाद फिर से अरेस्ट कर लिया। इतना ही नहीं पुलिस ने मामले में नई धारा भी जोड़ी है। इसके साथ ही कोर्ट ने बार के मालिक जितेश शेवनी और जयेश बोनकर को भी 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा है।

बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे में एक नाबालिग लड़के ने अपनी करोड़ों की पोर्शे कार से दो लोगों को कुचलकर मार डाला। चश्मदीदों का कहना है कि कार की स्पीड करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटा था। इस हादसे में मारे गए लोगों की पहचान अनीस दुधिया और अश्विनी कोस्टा के तौर पर हुई थी। दोनों राजस्थान के हैं। बाद में पुलिस ने इस मामले में कार चला रहे 17 वर्षीय आरोपी को हिरासत में लेकर जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जमानत मिल गई।

पुलिस ने उस पर बालिग लोगों की तरह मुकदमा चलाने और उसे पुलिस हिरासत में भेजने की इजाजत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए आरोपी को जमानत दे दी थे। आरोपी को कोर्ट ने 15 दिनों के लिए येरवडा की ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने’ और ‘हादसे पर एक निबंध लिखने’ के लिए कहा। वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि जमानत की शर्तों में आरोपी को एक ऐसे डॉक्टर से इलाज कराने का निर्देश दिया गया है जो उसे शराब छोड़ने में मदद कर सके। इसके अलावा उसे ‘साइकेट्रिस्ट से सलाह’ लेकर उसकी रिपोर्ट अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है।

चश्मदीदों का कहना है कि कार की स्पीड करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटा था.पुलिस का दावा है कि बार में शराब पीने के बाद नशे में धुत होकर 17 साल का आरोपी पोर्शे कार को चला रहा था। उसने रविवार तड़के शहर के कल्याणी नगर इलाके में मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों को टक्कर मार दी थी, जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

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