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नोटबंदी के बाद अफरातफरी, रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जूझते दिखे लोग

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note bandiनई दिल्ली। काले धन पर लगाम लगाने के लिए देश में 500 और 1,000 रुपये के नोटों को मंगलवार आधी रात से अवैध घोषित किए जाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद बुधवार को लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जूझते दिखे। यह ज्ञात तथ्य है कि अधिकांश एटीएम देश में 500 या 1000 का नोट उपलब्ध कराते रहे हैं। लोगों के रोजमर्रा के काम में भी यही नोट इस्तेमाल में आते रहे हैं। ऐसे में यह ता’जुब की बात नहीं है कि बेहद बड़ी संख्या में लोगों के पास सिर्फ यही नोट थे। लोग इन्हें लेकर दुकानों पर गए और दुकानदारों ने स्वाभाविक रूप से इन्हें लेने से मना कर दिया। सरकारी ऐलान के बाद दुकानदारों के लिए भी ये नोट फायदे का सौदा नहीं रह गए हैं।

जिन जगहों के लिए सरकार ने इन नोटों को 11 नवंबर मध्यरात्रि तक मान्य किया है, वहां भी इन्हें लेकर बहुत दिक्कत आई। इन जगहों में पेट्रोल पंप, सरकारी अस्पताल, मदर डेयरी, केंद्रीय भंडार, रेल-बस स्टेशन शामिल हैं।

रिजर्व बैंक आफ इंडिया के मुताबिक देश में 17,54,000 करोड़ मुद्रा चलन में है। इनमें से 45 फीसदी 500 रुपये के नोट हैं और &9 फीसदी 1000 के नोट हैं। मतलब यह हुआ कि 16,&2,000 करोड़ रुपये सरकार के फैसले के बाद अमान्य हो गए। हालांकि, यह सही है कि इनमें से बड़ी राशि बैंकों के पास रही होगी।

और, 500-1000 के जो नोट लोगों के पास थे, वे भी काम के नहीं रहे। जहां इन्हें लिया जाना चाहिए था (सरकारी आदेश के मुताबिक) वहां भी भारी दिक्कतें आईं। इसी का नतीजा रहा कि मदर डेयरी और पेट्रोल पंपों पर लोगों की भीड़ देखी गई।

इनमें से कई जगहों पर 100-100 के नोट खत्म हो गए। पेट्रोल पंपों और डेयरी संचालकों को लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। कई जगह लेनदेन को लेकर लोगों में झगड़ा भी हुआ। दिल्ली के एक पेट्रोल पंप मालिक बृज भूषण ने कहा, अधिकांश लोग 1,000 रुपये के नोट देकर 100-200 रुपये का डीजल या पेट्रोल मांग रहे हैं। हमारे पास पहले ही खुले खत्म हो गए हैं। लेकिन, लोगों की लंबी कतार खत्म नहीं हो रही है। सरकार को इतना बड़ा फैसला लागू करने से पहले हमें पर्याप्त मात्रा में खुले, खासकर 100-100 रुपये के नोट देने चाहिए थे। एक डेयरी बूथ के मालिक ब्रजेश कुमार ने कहा, मेरे पास खुले खत्म हो गए हैं। मुझे मजबूरन लोगों को वापस जाने के लिए कहना पड़ रहा है। एटीएम भी बंद पड़े हैं और 100-100 रुपये के नोट खत्म हो गए हैं। ऐसे में छोटे-छोटे वेंडरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

सडक़ किनारे खानपान की दुकान चलाने वाले स्वदेश ने कहा, अन्य दिनों के मुकाबले बुधवार को मेरी कमाई अ‘छी नहीं रही। लोग खुले लेकर नहीं आ रहे हैं। वे मुझे 500 और 1,000 रुपये के नोट दे रहे हैं, लेकिन मैं गरीब आदमी हूं और मैं इतने लोगों को खुले पैसे कैसे दे सकता हूं। इससे मेरी आजीविका प्रभावित हो रही है।

60 वर्षीय ममता झा मधुमेह से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि दवा की दुकान पर उन्हें दिक्कत नहीं आएगी। दवा का बिल 850 रुपये बना। उन्होंने 1000 का नोट दिया। दुकानदार ने कहा कि उसके पास छुट्टे 150 रुपये नहीं हैं। उसने ममता को एक पर्ची दी जिस पर लिखा कि बाद में जब जरूरत हो पर्ची दिखाकर 150 की दवा ले लेना। ममता ने इसे लेने से मना किया तो दुकानदार ने कहा कि फिर वह भी मजबूर है।

इस फैसले से जहां छोटे व्यापारी और दुकानदार परेशान हैं, वहीं कुछ इसका इस्तेमाल पैसे बनाने के लिए कर रहे हैं। कुछ छोटे जनरल व प्रोविजनल स्टोर 500 और 1,000 रुपये के नोट बदलने के लिए 50-100 रुपये ले रहे हैं। कोलकाता, आगरा और अन्य जगहों पर विदेशी पर्यटकों और व्यापारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। एटीएम-बैंक बंद होने से वे हैरान-परेशान दिखे। आगरा में विदेशी पर्यटक काफी परेशान हुए जब भारतीय पुरातत्व विभाग ने 500-1000 के नोट लेने से मना कर दिया।

विभाग के प्रमुख भुवन विक्रम ने कहा, हम क्या कर सकते हैं? हमने सरकारी आदेश टिकट खिडक़ी पर लगा दिया। यह सरकारी नीति है। हम क्या मदद कर सकते हैं? अमेरिका की पर्यटक लीजा (29) ने कहा, यह कोई तरीका नहीं हुआ। और, हमारी क्या गलती है? मुंबई में ऑटो और टैक्सी वालों ने 500-1000 के नोट लेने से मना कर दिया। इसके बाद लोग खुले पैसों के लिए भटकते दिखे।

नवी मुंबई स्थित फलों और सब्जी की मंडी में इन सामानों के ढेर लग गए। ’यादातर थोक विक्रेता इन्हीं अमान्य घोषित हो चुकी मुद्राओं को लेकर खरीदारी के लिए पहुंचे थे।

मंडी के एक अधिकारी ने कहा, हम बैंकों से आग्रह कर रहे हैं कि इन नोटों को लेने की हमें अनुमति दी जाए और बाद में इन्हें बदलने में मदद दी जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फल और सब्जी के यह अंबार सड़ जाएंगे और किसानों तथा व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हो जाएगा।
यही कहानी देश के कई और हिस्सों की भी है।

भोपाल से खबर है कि मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को रा’य की सभी कृषि उपज मंडियां बंद रखीं। प्रदेश में छोटी-बड़ी कुल पांच सौ मंडियां हैं। 500 और 1000 रुपये के नोटों के अमान्य होने से देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में भी आम लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ रहा है। लोगों को अपनी जरूरतें पूरी करने में काफी परेशानी हो रही है। सरकारी घोषणा के बाद मरीजों के परिजनों को मेडीकल स्टोर से दवाएं नहीं मिल रही हैं।

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में अपने परिजन का इलाज कराने पन्ना से आए रोशनलाल समझ नहीं पा रहे हैं कि वे दवा का इंतजाम कैसे करें। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि उनके पास सिर्फ 500 रुपये के ही नोट हैं और मेडिकल स्टोर वाले इन नोटों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। चिकित्सक द्वारा जो दवाएं लिखी गई हैं, वह उनके शहर में मिलती नहीं हैं।

प्रधानमंत्री के संदेश में सरकारी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर को 500-1000 रुपये के नोट लेने की छूट दी गई है, मगर यहां के मेडिकल स्टोर वाले इन नोटों को स्वीकार करने से मना कर रहे हैं। निजी चिकित्सालयों को यह छूट नहीं है, परिणामस्वरूप इन अस्पतालों में इलाज कराने वालों को तो परेशानी हो ही रही है।

इसी तरह का कुछ हाल पेट्रोल पंपों पर भी हैं, जहां ग्राहकों से पेट्रोल पंप कर्मी 500-1000 रुपये के नोट लेने को तैयार नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 500-1000 रुपये के जो नोट दिए जा रहे हैं, वे उस पूरी राशि का ईंधन डाल रहे हैं, क्योंकि उनके पास कम मूल्य के रुपये हैं ही नहीं। श्योपुर जिले में तो एक स्थान पर पेट्रोल पंप पर मारपीट की भी खबर मिली है।

रेलवे स्टेशनों का भी बुरा हाल है, जहां 500-1000 रुपये के नोट देने पर यात्रियों को टिकट देने से मना किया जा रहा है। रेल कर्मियों का कहना है कि जो भी उन्हें ये नोट देंगे, उनको अपना सारा ब्यौरा व पहचान पत्र देना होगा। इसके अलावा उनके पास कम मूल्य के रुपये नहीं हैं, इसलिए वे शेष राशि नहीं लौटा सकते हैं।

पटना से खबर है कि बिहार के सभी क्षेत्रों में बुधवार को भी पेट्रेल पंप पर लंबी कतार दिखी। लगी है। यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पटना रेलवे स्टेशन पर टिकट घर के सामने एक घंटे से ’यादा समय तक पंक्ति में रहने के बाद भी गया के पवन कुमार को टिकट नहीं मिल पाया। पवन ने कहा, मेरे पास 500 का नोट है और टिकट काउंटर के कर्मचारी के पास खुदरा पैसा नहीं है। रेलवे कर्मचारी ने कह दिया कि खुले (खुदरा ) पैसे लेकर आइए। अब मैं कहां जाऊं? 500 रुपये का खुला कौन देगा?

प्रादेशिक

इस्कॉन के चेयरमैन गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का निधन, देहरादून के अस्‍पताल में थे भर्ती

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देहरादून। इस्‍कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्‍यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का रविवार को निधन हो गया। हृदय संबंधी बीमारी के चलते उन्‍हें तीन दिन पहले देहरादून के सिनर्जी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्‍होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से भक्तों में शोक की लहर है।

इस्कॉन मंदिर के डायरेक्टर कम्युनिकेशन इंडिया बृजनंदन दास ने बताया कि 5 मई को शाम 4 बजे नई दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित मंदिर में दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज दो मई को दूधली स्थित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां वह अचानक फिसलकर गिर गए थे। इससे उन्हें चोट लगी थी। उनका तीन दिनों से सिनर्जी अस्पताल में इलाज चल रहा था। भक्त उनके आखिरी दर्शन दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में कर सकेंगे। सोमवार को उनकी देह को वृंदावन ले जाया जाएगा। इसका समय अभी तय नहीं हुआ है।

 

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