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प्रादेशिक

धूमधाम से मनाई गई बरसाने की लड्डू होली

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बरसाने की लट्ठमार होली, लड्डू होली, नंदगाँव के हुरियारे, पांडा

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लट्ठमार होली से एक दिन पहले खेली जाती है लड्डू होली

मथुरा/ बरसाना। आज बरसाना के प्रमुख श्रीजी मंदिर में बड़े ही धूम-धाम से लड्डू होली खेली गई। बरसाना की लट्ठमार होली से ठीक एक दिन पहले खेली जाने वाली इस लड्डू होली का ब्रज में विशेष महत्त्व है। इस दिन नंदगाँव के हुरियारों को न्यौता देकर पांडा बरसाना लौटता है, जिसका सभी लड्डू फेंक कर स्वागत करते है।

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बरसाने की लड्डू होली

ब्रज में लट्ठमार होली की परंपरा बेहद प्राचीन है और बरसाने को इसका केंद्र माना जाता है। बरसाने की लट्ठमार होली के विश्वप्रसिद्ध होने की वजह है इसका परंपरागत स्वरुप।

द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट

बरसाने की हुरियारिनो से होली खेलने के ये नंदगाँव के हुरियारे आते है, और इसके लिये बाकायदा एक दूत न्यौता देने नंदगाँव पहुँचता है। जो आज के दिन लौट कर बरसाना आता है।

इस दूत को यहाँ पांडा कहा जाता है और जब ये पांडा लौट कर बरसाने के प्रमुख श्रीजी मंदिर में पहुँचता है तो यहाँ मंदिर में सभी गोस्वामी इकठ्ठा होकर उसका स्वागत करते है, बधाई स्वरुप पांडा पर लड्डू फेंकते है, उसके बाद मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्त भी पांडा के ऊपर लड्डू फेंकते है।

जिसे हम सभी लड्डू होली के नाम से जानते है। इस दौरान मंदिर प्रांगण में ही समाज-गायन होता है, जिसमे पांडा के साथ भक्तगण भी होली के गीतों पर नाचते है। इस होली में शामिल होने के लिये देश के कोने-कोने से भक्त बरसाना पहुँचते है और लड्डू होली का आनंद उठाते है।

इस होली में शामिल होने वाले भक्तों के उत्साह की एक खास वजह यह है कि इस दिन जो लड्डू खाने के लिये होता है उन्हें इससे होली खेलने का मौका मिलता है, साथ ही अगले दिन होने वाली लट्ठमार होली को खेलने के लिये तो उन सभी के मन में उत्साह दुगुना हो जाता है।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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