मनोरंजन
‘द साइलेन्ट हीरोज’ 11 दिसंबर को होगी प्रदर्शित
मुंबई| कई समारोहों में सफलतापूर्वक प्रदर्शन के बाद, दुनिया की पहली ओपन कैप्शन फिल्म ‘द साइलेन्ट हिरोज’ अब 11 दिसंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। फिल्म 13 बहरे बच्चों की कहानी पर आधारित है, जिसमें पर्वतारोहण के माध्यम से साबित किया गया है कि वह विकलांग नहीं हैं और अलग चीजों को करने में सक्षम हैं। ओपन कैप्शन फिल्म के ‘फर्स्ट डे फर्स्ट शो’ को बधिर लोग भी देख और सुन सकेंगे।
इस प्रारूप के बारे में बात करते हुए निर्देशक महेश भट्ट ने कहा, “ओपन कैप्शन फिल्म का उपशीर्षक स्क्रीन पर दिखाई देगा। ओपन कैप्शन फिल्म में ना सुन पाने वाले दर्शकों के लिए स्क्रीन पर शीर्षक, संवाद वर्णनकर्ता, ध्वनि प्रभाव और संगीत दिखाया जाएगा।” फिल्म के शीर्षक के बारे में बताते हुए निर्देशक ने कहा, “मैं लोगों को दिखाना चाहता हूं कि वह असहाय नहीं है और ना ही बोझ हैं। चुप होना उनकी कमी नहीं है और वह अभी भी हीरो हैं, जिसने मुझे फिल्म ‘द साइलेन्ट हीरोज’ नाम रखने के लिए प्रोत्साहित किया।” फिल्म ‘द साइलेन्ट हीरोज’ एक साहसिक थ्रिलर है। फिल्म को सेंसर बोर्ड से यू प्रमाण-पत्र मिल चुका है।
प्रादेशिक
13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा
मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले पिता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।
बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।
लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।
बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।
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